________________
आएँगे तो नियम और भी बनाये जा सकते हैं कि महीने में 30 दिन जिसकी हाज़िरी रहेगी उस बच्चे को हर महीने 10 किलो गेहूँ उपलब्ध होगा। जितना कम आओगे उतना गेहूँ कम होता चला जाएगा। वैसे भी सरकारी मास्टर काम-धाम करते नहीं, ऊपर से खोल दी भोजनशाला। पढ़ाई तो हो गई चौपट । और सरकारी मैडमें तो सर्दी के मौसम में लेकर बैठ जाती हैं ऊन के गोले और स्वेटरें बनाना शुरू कर देती हैं । यह हाल है! हमारे सरकारी स्कूलों का स्टैण्डर्ड ऊँचा होना चाहिए। उनमें कसावट होनी चाहिए।
हमारे देश में छोटा परिवार सुखी परिवार का जो नियम बना है, बहुत अच्छा है। इसका परिणाम यह आ रहा है कि हर माँ-बाप अपने बच्चों पर पूरी ताक़त झोंक रहे हैं और दो बच्चों के निर्माण के लिए अपनी पूरी आजीविका, पूरी ताक़त लगा देते हैं। जो कच्ची झोंपड़ बस्ती के लोग हैं, न केवल उनसे बल्कि मैं तो मुस्लिम भाइयों से भी कहूँगा हो सकता है धर्म भले ही हमें रजा न देता हो लेकिन फिर भी अगर ये सारी दुनिया छोटा परिवार सुखी परिवार का उसूल अपनाती है तो ऐसा करने से अपने देश का, आपके बच्चों का सही निर्माण होगा। बच्चों के जीने का स्तर सुधरेगा। अब अगर एक पिता के सात-नौ-दस बच्चे हैं तो वो किसकिस पर ध्यान दे? कमाता तो वही मेहनत करके है। एक बच्चा, दो बच्चे अधिक से अधिक तीन बच्चे होंगे तो परिणाम यह निकलेगा कि आप भी सुखी रहेंगे, घर पर स्कूटर भी होगा, कार भी होगी। मकान भी खरीद सकेंगे और अपने बच्चों का टेलेंट भी सही ढंग से विकसित कर सकेंगे।अगर ऐसा नहीं करेंगे तो जनसंख्या तो बढ़ती जाएगी, पर आपके घर का, आपके जीवन का स्टैण्डर्ड कमज़ोर बना रहेगा। अगर स्टैण्डर्ड को ऊँचा करना है तो छोटा परिवार सुखी परिवार का मंत्र अपनाइए। __ आओ हम लोग अपने टेलेंट को जगाते हैं। बच्चे, जिनके लिए कभी माँ-बाप ने सपना संजोया था और सपना संजोकर सोचा था कि हम अपने बच्चों के रूप में अपना भविष्य बनाएँगे, मैं उन बच्चों का भविष्य बनाने की कोशिश कर रहा हूँ। बच्चो ! माँ-बाप के उन गीतों को याद करो जो उन्होंने आप लोगों के लिए गाए थे, अपन लोगों के लिए जो सपने देखे थे, माँ-बाप के द्वारा देखे गए उन सपनों को याद करो। माँ-बाप ने किस परिस्थिति में हम लोगों को पढ़ाने-लिखाने के लिए अपनी कुर्बानियाँ दी हैं उन कुर्बानियों को याद करो।
| 63
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org