Book Title: Kaise Khole Kismat ke Tale
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 59
________________ केरियर कैसा बनेगा? सो पहचानने के लिए पिता बीयर की बोतल लेकर आया और एक कप बीयर प्याले में डाल दी, बगल में एक फिल्मी हीरोइन का फोटो भी रख दिया। एक पेन भी रख दिया और रामायण के सुन्दर-कांड का गुटखा भी ले जाकर रख दिया। और फिर बेटे से कहा कि देखो बेटा जाओ, वे देखो सामने इतनी चीजें रखी हैं, जो तुम्हें सबसे ज्यादा पसंद आए उसे उठा लो। बेटा ठुमकठुमक करता हुआ निकल पड़ा और जब वहाँ पहुँचा तो उसने सबसे पहले प्याला उठाया और पी गया। अभिनेत्री का फोटो उठाया जेब में डाल दिया। पेन उठाया, उसे भी जेब में डाल लिया और रामायण का गुटका हाथ में लिये पिता के पास चला आया। पिता ने कहा यह छोरा ज़रूर आगे जाकर नेता बनेगा, इसके लक्षण ऐसे ही दिख रहे हैं। चारों चीजें इसको पसंद जो हैं। सबके अपने-अपने नेचर, अपने-अपने टेलेंट होते हैं। हमें अपने टेलेंट को पहचानना होगा। पेंसिल हमें सिखाती है कि तुम्हारी ताक़त तुम्हारे अपने भीतर है। पेंसिल हमें चौथी नसीहत देती है कि ग़लती होना मुमकिन है इसलिए पेंसिल के ऊपर एक रबर और रखा जाता है, जो हमें सिखाता है सुधार, संशोधन । ग़लती हो सकती है इसलिए जैसे ही ग़लती हो जाए, रबर घिसो और उसे ठीक कर लो। अपनी ग़लती को जिंदगी भर के लिए अपने साथ ढोते मत चलो। अगर जिंदगी भर उस ग़लती को बरकरार रखोगे तो ये ग़लतियाँ जिंदगी भर हमें परेशान करती रहेंगी। जैसे ही ग़लती का एहसास हुआ, एहसास होते ही उसे सुधार लिया। लड़के से ग़लती हो जाए तो आप क्या करते हो? ग़लती का एहसास होते ही उसका कान मरोड़ते हैं। आपको भी जैसे ही अपनी ग़लती का एहसास हो जाए तो झट से अपना कान मरोड़ लीजिएगा। खुद का अनुशासन खुद पर लागू कीजिए और इस तरह ग़लती को अपनी जिंदगी में से बाहर निकाल दीजिए। पेंसिल के ऊपर रबर इसीलिए रखा जाता है ताकि ग़लती सुधारी जा सके।पेंसिल का पाँचवाँ नियम - वह जो कुछ लिखती है, जैसा लिखती है वही आने वाले कल के लिए पद-चिन्ह बना करता है। __ तुम हमेशा ऐसी चीजें लिखकर जाओ कि आने वाला कल तुम्हारे पदचिन्हों का अनुसरण कर सके। या तो अपनी जिंदगी में सौ किताबें लिख डालो, ताकि लोग तुम्हें पढ़कर अपनी जिंदगी संवार सकें या फिर ऐसा जीवन जी जाओ किलोग तुम पर सौ किताबें लिखे,दो में से एक रास्ता अवश्य हो।मैंने कहा या तो अपनी तरफ से सौ किताबें लिख जाओ ताकि ये दुनिया तुमसे प्रकाश पा सके या 60/ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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