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तुमको पता है कि तुम्हारे पिता को सात साल से लकवा है? क्या तुम्हें पता है कि तुम पाँच भाई हो? मैंने कहा - हाँ, सर। तब तुम्हें यह भी पता होगा कि तुम्हारे पाँच भाइयों में कमाने वाला एक बड़ा भाई ही है। मैंने कहा - जी हाँ । तो बोले - मैं तुम्हें बता देना चाहता हूँ कि तुम्हारा बड़ा भाई मेरा दोस्त है, पर हमारे साथ वह केवल इसलिए चाय-पानी-नाश्ता नहीं करता कि वह कहता है कि अगर मैं अपने दोस्तों के साथ चाय-पानी-नाश्ता करने में अपनी नौकरी का पैसा खर्च कर दूंगा तो अपने छोटे भाइयों को पढ़ा-लिख कर कैसे तैयार करूँगा? मैं अपने छोटे भाइयों की फीस कैसे जमा करवा पाऊँगा। जो भाई अपने पेट पर पट्टी बाँधकर तुम भाइयों को पढ़ाना चाहता है, उस भाई को तुम यह परिणाम देते हो? वह जिंदगी का अंतिम दिन था। मेरा गुरु कोई धर्म शास्त्र नहीं है, मेरी जिंदगी का पहला गुरु वह क्लास टीचर है जिसने मेरी आत्मा को, मेरी चेतना को जगाया। मुझे पार्थ बनाया। अगर हम आज हज़ारों लोगों से रोज़ मुख़ातिब होते हैं तो केवल एक क्लास टीचर और लाइफ़ टीचर का दायित्व पूरा कर रहे हैं ताकि आपकी सप्लीमेंट्री में पडी, सोई हुई आत्मा जग जाए, चेतना जाग्रत हो जाए, लोग अपना दायित्व समझें । मैं नौवीं कक्षा में ज़रूर सप्लीमेंट्री से पास हुआ, लेकिन उसके बाद किसी भी क्लास में फर्स्ट क्लास से नीचे पास होना, मेरे लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने के समान रहा। गरीबी अभिशाप है। हम सब सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली की ओर बढ़े। दुखीराम नहीं, सुखीराम बनें।
धरती चलती तारे चलते, चाँद रात भर चलता है। किरणों का उपहार बाँटने, सूरज रोज़ निकलता है। हवा चले तो महक बिखेरे, तुम भी प्यारे मत बैठो।
आगे-आगे बढ़ना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो।। प्रकृति की हर चीज गतिशील है। सब चल रहे हैं, अपने-अपने कार्य में गतिशील हैं। धरती-चाँद, तारे, सूरज सभी चल रहे हैं। फिर हम ही रुके हुए क्यों हैं? हमारी भी साँस, धड़कन, नब्ज, सब चीजें चल रही हैं, फिर प्रगति का पथ क्यों अवरुद्ध है? चींटी से मेहनत करना सीखो, बगुले से एकाग्रता का पाठ पढ़ो, मकड़ी से कार्य-कुशलता का गुण सीखो। कुछ करने का ज़ज़्बा हो तो चींटियों के भी पंख लग जाते हैं । हममें भी कुछ ज़ज़्बा हो तो हम भी शिखर तक तो पहुँचेंगे। ऊँचा लक्ष्य बनाओ, चाँद तक न भी पहुँचे, पर शिखर तक अवश्य पहुँचेंगे। ऊँचा
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