Book Title: Kaise Khole Kismat ke Tale
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 36
________________ अपाहिज बना डाला कि लड्डू मिलेंगे तो लोग इकट्ठे होंगे। जीमण होगा तो भीड़ जमा होगी। जीमण नहीं तो टाँय-टाँय फिस्स । सारे पूजा-प्रतिष्ठा महोत्सव फेल | अपने देश और अपनी संस्कृति को इतना मुफ़्त का मत बनने दीजिए। अपने धर्म को इतनी हल्की किस्म का मत होने दीजिए कि जीमण के आधार पर ही लोग इकट्ठे होंगे । अरे, कब तक सिक्के बाँट-बाँट कर लोगों को इकट्ठा करते रहोगे? कब तक टॉफियाँ बाँट-बाँट कर बच्चों को प्रलोभन देते रहोगे? हर रोज़ प्रभुजी चौबीस घंटे देते हैं। ये चौबीस घंटे हमारे लिए किसी मालवाहक ट्रक की तरह हैं। अब हम इनमें मिट्टी भरें कि हीरे, यह हमारी समझ पर निर्भर करता है। ईश्वर हमें हर रोज़ 1440 मिनट देता है : 24 ×60 =1440 | मुझे भी, आपको भी, आपकी पत्नी को भी, आपके बच्चे को भी । कुदरत बिल क्लिंटन को भी यही 1440 मिनट देती है, बिल गेट्स को भी, बॉबी को भी और बबलू को भी । कुदरत कोई फ़र्क नहीं करती। सबको एक जैसा समय देती है अग्नि का काम है जलना । वह अमीर के घर में भी जलती है, गरीब के घर में भी जलती है। गरीब की रोटी भी सेकती है, अमीर की रोटी भी सेकती है । परिणाम निकालने वाले पर निर्भर करता है कि कौन आदमी उसका कैसा परिणाम निकालता है । I मैंने कहा बॉबी, आप लोगों को पता है यह बॉबी कौन है ? अमेरिका की एक क्लॉस में दो लड़के साथ पढ़कर निकले थे एक बॉबी और दूसरा बिल, दोनों को कुदरत ने जीवन दिया, दोनों को कुदरत ने हर रोज चौबीस घंटे दिए, दोनों को ही हर रोज 1440 मिनिट मिले। दोनों ही एक क्लास में थे, दोनों ही मध्यमवर्गीय घर I पैदा हुए थे, पर बॉबी आज भी एक पेट्रोल पम्प में काम करने वाला मैनेजर भर है और बिल अमेरिका का राष्ट्रपति बन गया - बिल क्लिंटन । जीवन सबको एक ही मिलता है, वक़्त सबको एक ही मिलता है, पर परिणाम सबके लिए जुदे-जुदे हो जाया करते हैं । कोई व्यक्ति जिसने छोटे सपने देखे, अपने जीवन में ज़ज़्बे न जगा पाया, वह कहीं काँच साफ करते मिल जाएगा, कहीं नौकरी करते मिल जाएगा, लेकिन जिसने जीवन में ऊँचे सपने देखे, ऊँचे लक्ष्य बनाए, ऊँचा पुरुषार्थ किया, ऊँचे गेम खेले वह गरीब या नौकर न रहा । अरे, नौकरी करके जिंदगी गुज़ारने से तो अच्छा है घास खोद कर खाइए, पर कहीं किसी के यहाँ नौकरी करने मत जाइए। लघु उद्योग कीजिए, धंधा कीजिए। अगर यह सोचते हो कि Jain Education International For Personal & Private Use Only 37 www.jainelibrary.org

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