Book Title: Kaise Khole Kismat ke Tale
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 24
________________ मेहनत को हम दीप बनायें, लगन को समझें ज्योति। पत्थर में से हीरा जन्मे, और सागर में मोती। बाधाओं से डरना कैसा, मिलता स्वयं किनारा॥ बदलें जीवन-धारा॥ बाधाएँ किसकी जिंदगी में नहीं आती? याद रखिए ऐसे व्यक्ति को जिसने इक्कीस साल की उम्र में पार्षद का चुनाव लड़ा, मगर हार गया। तेईस साल की उम्र में शादी की मगर सत्ताईस साल की उम्र में तलाक हो गया। अट्ठाईस साल की उम्र में दुकान की, लेकिन तीस साल की उम्र में दिवाला निकल गया। बत्तीस साल की उम्र में उसने एम.एल.ए. का चुनाव लड़ा मगर हार गया। बयालीस साल की उम्र में कांग्रेस से चुनाव लड़ा फिर वह पराजित हो गया। सैंतालीस साल की उम्र में उस व्यक्ति ने उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा, पर फिर हार गया। वही व्यक्ति बावनवें वर्ष में अमेरिका का राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन बना। मेहनत को हम दीप बनायें, लगन को समझें ज्योति। पत्थर में से हीरा जन्मे, और सागर में मोती। मोती कहाँ मिलते हैं, सागर में मिलते हैं। पर किसी को भी एक डुबकी में मोती नहीं मिला करते। कोई भी आदमी सेना में भर्ती हो जाए तो एक ही दिन में सेनापति नहीं बन जाता। सेनापति बनने के लिए संघर्ष और अनुभवों के लम्बे दौर से गुजरना पड़ता है। बाधाओं से डरना कैसा, मिलता स्वयं किनारा। बदलें जीवन धारा॥ __ जो लोग बूढ़े हो गए वे जवान हों। अपने आप को बूढ़ा मानना ही, मौत को निमंत्रण देना है। बूढ़ा आदमी केवल एक मिनट के लिए बने, केवल एक मिनट के लिए। और बूढ़ा उस दिन बनना जिस दिन तुम्हें मौत आ जाए। इसके अलावा बुढ़ापे का क्या काम? जब तक जिओ, ऊर्जावान बनकर जिओ। मैं देखता हूँ मेरे सामने एक नब्बे वर्ष के बुजुर्ग बैठे हुए हैं। ये लगातार पन्द्रह दिन से हमारे पीछे लगे हुए हैं। इस उम्र में बोलते हैं, साहब, मेरे पास चार बीघा जमीन है, उस पर प्राकृतिक चिकित्सालय खोलूँगा। उसका शिलान्यास आपके कर-कमलों से करवाऊँगा। ग़ज़ब का जज़्बा है उनमें । इन दादाजी से प्रेरणा लिया करो। मुर्दे की तरह क्या जीना? जिओ तो ऐसे जिओ कि अगर कोई कुलदेवता भी हमारे घर में आ जाए तो लगे कि जिंदा आदमी बैठा है। मंदिर के माधवजी मत बनो। पत्थर के | 25 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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