Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जखीपप्रजातिको क्षेत्रे वृद्धिर्भवति इति ॥ प्रकृतमेव वस्तु पश्चानुपूा दर्शयितुं प्रश्नयनाह-'जयाणं' इत्यादि, 'जयाणं भंते ! सरिए' यदा-यस्मिन् काले खलु भदन्त ! सूर्यः 'सव्ववाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरई' सर्व वाह्यमण्डलमुपसंक्रम्य-सम्प्राप्य चारं गतिं चरति-करोति 'तयाणं के महालए दिवसे भवई' तदा-तस्मिन् काले खलु कि महालयः-किया-कियत्प्रमाणक इत्यर्थः दिवसो भवति तथा-'के महालिया राई भवई' किं महालया-कियती कियत्प्रमाणा इत्यर्थः रात्री-रजनी भवतीति प्रश्नः भगवानाइ-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'तयाणं उत्तम पत्ता उक्कोसिया' तदा तस्मिन्काले उत्तमकाष्ठाप्राप्ता-प्रकृष्टावस्यां गता अतएवोस्कर्पिका-सर्वत उत्कृष्टा, यतो न काचित्तदन्या प्रकर्पयती रात्रि भवति एतादृशी 'अट्ठारस मुहुत्ता राई भवइ' अष्टादशमुहर्तप्रमाणा एतादृशी तदा रात्री रजनी भवति । रात्रि दिवसस्य त्रिंशन्मुहूर्चप्रमाणत्वाव त्रिंशन्मुहूर्तलक्षणसंख्यापूरणायाह-'जहण्णए' इत्यादि, 'जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइति' जघन्यकोऽल्लीयान् द्वादशमुहर्तप्रमाणकस्तत्काले-दक्षिणा. यनकाले दिवसो भवति त्रिंशन्मुहर्तला दहोरात्रस्येति । अयं चाहोरात्री दक्षिणायनस्य चरमो
अव सूत्रकार इस प्रकृत विषय को ही पश्चानुपूर्वी द्वारा दिखाते हैं-इसमे गौतमस्वामीने प्रभु से ऐसा पूछा है-'जयाणं भंते ! सूरिए सव्वयाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ' हे भदन्त ! जिस समय सूर्य सर्ववाहय मंडल को प्राप्त कर गति करता है-'तयाणं के महालए दिवसे भवई' तब उस समय कितना बडा दिन होता है और 'के महालिया राई भवई' कितनी बडी रात होती है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! तयाणं उत्तमकट्टपत्ता उक्कोसिया अद्वार.समुहुत्ता राई भवई' हे गौतम ! उस समय सब से अधिक प्रमाणवाली जिस से अधिक प्रमाणवाली और दूसरी रात्रि नहीं होती ऐसी रात्रि १८ मुहूर्त की होती है रात और दिवस का-दोनों का काल प्रमाण ३० मुहर्त का होता है। 'जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवले भवई' सो दिनका प्रमाण जघन्य होता हैअर्थात् १२ मुहूर्त का तब दक्षिणायन काल में दिन होता है। यह दिन रात આ પ્રકૃત વિષયને જ પશ્ચાનુપૂર્વી દ્વારા સ્પષ્ટ કરતાં કહે છે-આમાં ગૌતમસ્વામીએ प्रभुन मा शरे प्रश्न ४ो छ-'जया णं भंते ! सूरिए सब्बबाहिर मंडलं उबसंकमित्ता चार धरई' ! २ समये सूर्य समाखभजन प्राप्त श गति ४२ छ 'तयाणं के महालए दिवसे भाई' त्यारे ते मते टस aiमस डाय छे मन 'के महालिया राई भवई ३al aiमी 11 डाय छ ? सेना काममा प्रभु ४ छ-'गोयमा ! तयाणं उत्तमकट्ठपत्ता उनकोसिया अदुरसमुहुत्ता राई भवइ' गौतम! ते मते सोथी पधारे प्रमा''વાળી જેનાથી વધારે પ્રમાણુવાળી બીજી કોઈ રાત હતી નથી એવી રાત્રિ ૧૮ મુહૂર્તની
डाय छे. रात मन हसनु-मन्ननु त ३० मुताय छे. 'जहण्णए 'दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवई' हिस' प्रमान्य थाय छे. मेट १२ मुश्ता