Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 516
________________ प्रकाशिका टौका-सप्तमवक्षस्कार: सू. ३० प्रहादीनां शीघ्रगत्यादिनिरूपणम् तत् जश्न्येन द्वे पक्षष्टि योजनशते, अर्थात् षट्पष्टयधिके द्वे योजनशते इति, एतच्च निषधकूटादिक्रममपेक्ष्य ज्ञातव्यं तथाहि-निषधपर्वतः स्वभावतः उच्चैः चत्वारि योजनशतानि तदुपरि पञ्चयोजनशतोच्चानि कूटानि तानि च कूटानि मूले पञ्चयोजनशतानि आयामविष्कम्भाभ्याम्, मध्ये त्रीणि योजनशतानि पञ्चसप्तत्यधिकानि, उपरि भागे अर्द्धतृतीये द्वे योजनशते तेषां चोपरितन भाग समश्रेणिप्रदेशे तथा-जगत्स्वभावा दष्टावष्टौ योजनानि अवाधया कृत्या ताराविमानानि प्रचलन्ति ततो जघन्यतो व्याघातिकमन्तरं द्वे योजनशते पट्पष्टयधिक एव भवतः इति ।। 'उकोसेणं बारस जोयणसहस्साई दोणिय बायाले जोयणसए' उत्कर्षण द्वादश योजन सहस्राणि द्वे योजनशते द्विचत्वारिंशदधिके एतच्च मेरुपर्वतमधिकृत्य भवतीति ज्ञातव्यम्, तथाहि-मेरुपर्वते दशयोजनसहस्राणि मन्दरपर्वतस्योभयतोऽवाधया एकादश योजनानि एकविंशत्यधिकानि ततः सर्वसंकलनया भवन्ति द्वादशयोजनसहस्राणि द्वे च योजनशते द्विचत्वारिंशदधिके इति, 'तारारुवस्स तारारूपस्स अबाहाए अंतरे पनत्ते' उपर्युइसका तात्पर्य ऐसा है कि निषध पर्वत स्वभावतः चार सौ योजन ऊंचा है एवं उसके उपर पांच सौ योजन ऊंचे कूट है, ये कूट मूल में पांच सौ योजन की लम्बाई चौडाई वाले हैं बीच में ३ सौ ७५ योजन की और ऊपर में २५० योजन की लम्बाई चौडाई वाले हैं। इनके उपरितनभाग संबंधी समश्रेणी प्रदेश में तथा जगत्स्वभाव के अनुसार आठ २ योजन की दूरी पर तारा विमान चलते हैं इसलिये जघन्य की अपेक्षा व्याघातिक अन्तर २६६ योजन का ही है 'उकोसेणं वारस जोयणसहस्साइं दोणि य बायाले जोयणसए' एवं उत्कृष्ट से अन्तर १२ हजार दो सौ ४२ योजन का है यह अन्तर मेरु पर्वत की अपेक्षा से कहा गया है, 'तारारुवस्स ताराख्वस्स अवाहाए अंतरे पन्नत्ते' इस एक तारारूप से दूसरे तारारूप का अबाधा से अन्तर कहा गया है ॥३०॥ १२ वां द्वार समाप्त ॥ એવું છે કે નિષધપર્વત સ્વભાવતઃ ચારસો જન ઊંચે છે અને તેની ઉપર પાંચસો જન ઊ ચાઈએ કૂટ છે, આ કુટ મૂળમાં પાંચસો જનની લંબાઈ પહોળાઈવાળા છે વચમાં ૩૭૫ જનની અને ઉપરના ભાગમાં ૨૫૦ જનની લંબાઈ પહોળાઈવાળા છે. એમના ઉપરના ભાગ સંબધી સમશ્ર પ્રદેશમાં તથા જગવભાવના અનુસાર આઠ આઠ ચાજનથી દર પર તારાવિમાન ચાલે છે આથી જઘન્યની અપેક્ષા વ્યાઘાતિક અન્તર ૨૨૬ याननु छ 'उक्कोसेणं बारसजोयणसहस्साई दोणि य बायाले जोयणसए' मन Ergotथा અન્તર ૧૨,૨૪૨ બાર હજાર બસ બેંતાલીશ એજનનું છે. આ અન્તર મેરૂપવતની अपेक्षाथी अपामा माव्यु छ, 'तारारुवस्स तारारुवस्स अवाहाए अंरे पन्नत्ते' मा मे४. તારારૂપથી બીજા તારારૂપનું અબાધાથી અન્તર કહેવામાં આવ્યું છે. ૩૦ ૧૨ મું દ્વાર સમાપ્ત

Loading...

Page Navigation
1 ... 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569