Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 526
________________ प्रकाशिका टीका-सप्तमवक्षस्कारः रु. ३१ चन्द्रस्याग्रमहिष्याः नामादिनिरूपणम् ५११ शङ्खशब्दाङ्किता इत्यर्थः ते त्रयः तद्यथा-शङ्खः १९, शङ्खामः २०, शहवामः २१, “एवं भागियव्वं जात्र भावके उस्स अग्गमहिसीओत्ति' एवम्-उक्तप्रकारेण भणितव्यं प्रत्येय मग्रमहिषी संख्याकथनाय अष्टाशी ते ग्रहाणां नाम संग्राहकगाथा कदम्बकं यावत् भावकेतो ग्रहस्याप्रमहिष्यः । अत्र यावत्पदात् इदं दृष्टव्यम्, 'तिण्णेक्कंसनामाणील्ले रूव्विय हवंति चत्तारि । भावतिल पुप्फवण्णे दगदण्णेय कायबंधेय । इंदग्गि धूमकैऊ हारपिंगलए बुहेय सुक्केय, वहस्सइ राहु अगत्थी माणवगे कामफासेय ४ । धुरए पशुहे विथडे विसंधिकप्पे तडा पयल्लेय। जडियालएय अरुणे अग्गिलकाले महाकाले ५ । सोत्थिय सोवत्थिय वद्धमाणगतहापलंवेय। णिचालोए णिच्चुज्जोए सयंपभे चेव ओमासे ६ । सेयंकर खेमंकर पभंकरेय णायच्यो । अरए विरएय तहा असोगतचीत सोगेय ७॥ विमल वितत्थ विवस्थे विसालतहसाल सुत्रए चेव । अनियट्टी एगजडीय होइ विजडीय बोद्धव्वे ८ । करकरिय राय अग्गल बोद्धव्वे पुष्फभावकेऊय । अट्ठासी ईगहा खलु णायव्वा आणुपुच्चीए' ९॥ १९ वां ग्रह है, शङ्ख नाम यह २० वां ग्रह है शव वर्णाभ यह २१ वां ग्रह है 'एवं भाणियव्वं जाव भावके उस्स अग्गमहिसीओत्ति' भावकेतु की अग्रमहिषितक इसी प्रकार से कहते जाना चाहिये तथा च 'तिण्णेव कंसनामा, णीले रुचिय हवंति चत्तारि, मासतिल पुष्फ वण्णे दगदग वण्णे य कायबंधे य । इंदगि धूमके उ हार पिंगलए बुहे व सुक्के य, बहस्सइराहु अगत्थी माणवगे कामफासे य४, धुरए पमुहे वियडे, विसंधिकप्पे तहा पयल्ले य। जडियालए य अरूणे अग्गिलकाले महाकाले १.५॥ सोस्थिय सोवत्थिय बद्धमाणग तहा पलंवे य। णिच्चा लोए णिच्चुजोए सयंप चेव ओमासे ॥६॥ सेयंकर खेमंकर पर्भकरे य णायल्यो । :अरए विरए य तहा असोग तह बीतसोगे य ॥७॥ विमल वितस्थ विवत्थे विसाल तह साल सुव्वए चेव। अनियही एगजडी य, होह विजडी य बोद्धव्वे ॥८॥ करि करि य राय अग्गल बोद्धव्वे पुष्फभावकेउ य। घड छ, 'संख समान नामे वि तिण्णेव' शम थे सागसी प्रड छ, शमनाम से पोसभी ग्रह छ, शमन ये. मेवीसमे। 3 छ. 'एवं भाणियव्वं जाव भावकेउस्स अग्गमहिसीओ त्ति' मातुनी महिषी सुधी. २॥ प्रभारी ४डयानु या राम तथा च 'तिण्णेव कंसनामा, णीले रुविय हयंति चत्तारि, मासतिल पुष्फवण्णे दगदगवण्णे य कायबंधे य इंदग्गि धूमकेउ हारपिंगलर बुहे य सुक्के य बहस्सइराहु अगत्थी माणवगे कामफासे य ४, धुरए पमुहे वियडे विसंधि कप्पे तहा पयल्ले य जडियालए य अरुणे अग्गिलकाले महाकाले ॥५॥ सोस्थिय सोवत्थिय बद्धमाणग तहा पलंबे य णिच्चालोए णिच्चुज्जोए सयपत्ते चैव ओभासे ॥६॥ सेयंकर खेमंकर पभंकरे य णायव्या । अरए विरए य तहा असोग तह वीतसोगे य॥७॥ विमल वितत्यविवस्थे विसाल तह साल सुपए चेव । अनियट्टी एगजडी य होइ विजडी य बोद्धव्वे ॥८॥ कर करि य राय अगल बोद्धव्वे पुष्फ भावकेऊय । अट्ठासीई गहा खलु,

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