Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 531
________________ ५१६ जम्बूदीपप्रज्ञतिसूत्रे सामानिकाश्चात्मरक्षकादयश्च परिवसन्ति तेन चन्द्रसा मानिका पेक्षया उत्कृष्टमायुर्योध्यं तेपामेवोत्कृष्टायुः संभवात् जघन्यं चात्मरक्षकदेवापेक्षयेति, एवं सूर्यविमानादि सूत्रेष्वपि ज्ञातव्यमिति ॥ सम्प्रति-सूर्येविमानस्थदेवानां स्थितिकालं ज्ञातुं सूत्रमा - 'सुरविमाणे' इत्यादि, 'बर विमाणे देवाणं जहणेणं च भागपलियोनमं' सूर्यविमाने वसतां देवानां जघन्येन चतुर्भागपल्योपमं पल्योपमस्य चतुर्थो भागः स्थितिकालः 'उक्कोसेणं पलियोवमं वाससहस्सम भद्दियं ' उत्क्षणैकं पल्योपमं वर्षसहस्त्रैरभ्यधिकम् 'सुरविमाणे देवोणं जहणेणं च भागपलियोवमं' सूर्यविमाने देवीनां स्थिति जघन्येन चतुर्भागवल्योपमं, पल्योपमस्य चतुर्थो भाग इत्यर्थः । 'उकोसेणं अद्धपलियोचमं पंचहि वासस अमहियं उत्कर्पेणार्द्धपल्योपमं पञ्चभि वर्षशतैरभ्यधिकम् । जमाना चाहिये, चन्द्र विमान में चन्द्र देव, सामानिक देव और आत्मरक्षक आदि देव रहते हैं इसलिये चन्द्र सामानिक देवों की अपेक्षा उत्कृष्ट आयु जाननी चाहिये क्यों कि उत्कृष्ट आयु संभवित है और जघन्य आयु आत्मरक्षक देवों की अपेक्षा से है, इसी तरह का कथन सूर्यविमानादि सूत्रों में भी जानना चाहिये, अब सूर्यविमान में रहने वाले देवों की स्थिति के काल को जानने के लिये सूत्रकार सूत्र कहते हैं- 'सुरविमाणे देवाणं जहण्णेणं चउभाग पलिओवमं, उक्कोसेणं पलिओवमंबास सहस्समम्भहियं सूर्यविमान में रहने वाले देवों की जघन्य स्थिति एक पल्योपमके चतुर्थभागप्रमाण है और उत्कृष्ट स्थिति १एक हजार वर्ष अधिक एक पल्योपम की है 'सुरविमाणे देवीणं जहणेणं च भाग पलिओधमं उक्कोसे अद्धपलिओचमं पंचहि वाससएहि अमहियं' सूर्यविमान में वसने बाली देवियों की स्थिति एक पल्य के चतुर्थ भागप्रमाण है और उत्कृष्ट स्थिति ५ पाँच सौ वर्ष अधिक अर्द्धपल्योपम की है । વર્ષાં અધિક અદ્ધ પચાપમની છે એવુ સત્ર પ્રશ્નવાકય કરીને ઉત્તરવાક્યને ગાઢવી લેવુ જેઇએ. ચન્દ્રવિમાનમાં ચન્દ્રદેવ, સામાનિક દેવ અને આત્મરક્ષક આદિ ધ્રુવ રહે છે આથી ચન્દ્ર સામાનિક દેવાની અપેક્ષા ઉત્કૃષ્ટ આયુષ્ય જાળુવુ જોઇએ કારણ કે ઉત્કૃષ્ટ આયુષ્ય સંભવિત છે જ્યારે જઘન્ય આયુષ્ય આત્મરક્ષક દેવાની અપેક્ષાથી છે. આવી જ જાતનું કથન સૂર્યવિમાનાદિ સૂત્રામાં પણ જાણવુ', જેઈએ હવે સૂવિમાનમાં રહેનારા દેવાની સ્થિતિના अजने लगुवा भाटे सूत्रार सूत्र हे छे - 'सूरविमाणे देवाणं जहण्णेणं चउभागपलिओचमं, उक्कोसेणं पलिओवमं वाससहस्समम्भहिय' सूर्यविभानभां रहेनारा देवानी धन्य स्थिति એક પાપમનાં ચતુર્થાંભાગ પ્રમાણ છે અને ઉત્કૃષ્ટ સ્થિતિ એક હજાર વર્ષ અધિક એક पहयेोयभनी छे. 'सूरविमाणे देत्रीणं जहणणेणं चउभागपलिओचमं उम्कोसेणं अद्धपलिओ मं पंचहिं वाससएहिं अमहियं' सूर्यविभानभां वसनारी हेवियानी स्थिति मे पहयना ચતુર્થ ભાગ પ્રમાણુ અને ઉત્કૃષ્ટ સ્થિતિ પાંચસે વ અધિક અ પયાયમની એ:

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