Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जम्बूद्वीपतिसूत्रे अयनानि प्रज्ञतानि-कथितानि 'केवइगा उऊ' तथा हे भदन्त ! पञ्चसंवत्सरिके युगे रतिक्रियत्संख्यका तबो मन्ति, तथा-'एवं माता पला अहोरता केवदया मुहत्ता पत्नत्ता' एवं हे भदन्न ! पञ्चसंभ सरिक युगे कतिमासाः प्रज्ञता तथा पञ्चमंवत्सरिके युगे कतिपक्षाः प्रज्ञसाः, तथा पञ्चसंवत्सरिक युगे ति अहोरात्राः प्रज्ञप्ताः, तथा पञ्चसंवत्सरिके युगे पतिमुहर्ता प्रज्ञता:-कथिता इति प्रश्नः, भगवानाइ-गोयमा' इत्यादि, 'भोयमा' हे गौतम ! 'पंच संघच्छरिए णं जुगे दस थयणा' पञ्चसंस्तरिके युगे दश अगनानि प्रज्ञतानि-कथितानि प्रतिवर्ष मयनद्वयसद्भावात् वर्षाणां पञ्चसंख्याकत्वादयमानां दशापविरुद्वमिति । 'ती उऊ' त्रिंशद् ऋतवः प्रत्ययनम् ऋतुत्रयांमवात्, अत्र सूर्यसंवसारस्त पष्ठोऽशा, एकपष्टि दिन प्रमाणः पूर्यऋतुरेव नतु तु रांबसरपष्ठांशः पप्टि दिनमाणो लोभियत्रानुः तथासति पष्टि
सा इत्युत्तरसूत्रमसमंजसं स्यात् । राट्ठीमामा' पप्टिमासाः अतिऋतु मासयसद्भायात् हैं सो उन संवत्सर स्वरूप एक युग में कितने अपन होते हैं ? स्र्य संबन्धी पांच संवत्सर जिसका प्रमाण है ऐसे पांच संपल्सरिक युग में उत्तरायण दक्षिणायन रूप अयन कितने होते हैं ? 'केवइया ऊ अ' ऋतुएं कितनी होती हैं ? 'एवं मासा पक्खा, अहोरत्ता, केवहधा, मुहत्ता पन्नत्ता' इसी प्रकार से महिने, पक्ष, अहोरात्र, और मुहूर्त शितने होते हैं ? इस प्रश्न के उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा ! पंचसं बच्छरिए जुगे दस अयणा' हे गौतम ! पांचसंव
सरों वाले एक युग में दस अयन होते हैं, क्योंकि प्रति वर्ष दो दो अयन होते हैं-इसलिये ५ वर्षों के अथन ५४ २=१० हो जाता है 'तीसं उऊ ऋतुएं ३० होती है क्योंकि एक वर्ष में ६ ऋतुएं होनी कही गई हैं अतः ५४६=३० हो जाती हैं। अथवा एक अयन में ३ ऋतुएं होती है एक युग में १० अयन कहे गये हैं अतः १०४३-३० ऋतुएं होती हैं यह बामथो भी स्पष्ट हो जाती है। 'सहीमासा' एक युग में ६० भास होते हैं एक वर्ष में १२ मास होते हैं तो ५ वर्ष मे સ્વરુપ એક યુગમાં કેટલા અયન હાય છે? સૂર્ય સબન્ધી પાંચ સંવત્સર જેનું પ્રમાણ છે એવા પંચસંવત્સરિક યુગમાં ઉત્તરાયણ દક્ષિણાયન રૂપ અયન કેટલા હોય છે?
केवडया उ' तुम सी डाय छ ? 'एवं मासा पक्खा, अहोरत्ता, केवइया, मुहत्ता पन्नत्ता' मापी करीत महिना, पक्ष, महाराज मन मुहूत 3 डीय छ ? २मा प्रश्नना उत्तरमा प्रभु ४ -'गोरमा | पंच संवच्छरिए ण जुगे दस अयणा' हे गौतम ! पांय સંવત્સરવાળા એક યુગમાં દશ અયન હોય છે કારણ કે પ્રતિવર્ષ બબ્બે અયન હોય છે
॥ शत पाय पनि भयन ५४२-10 25 Mय छ 'तीसं उउ' तुम ३० डोय छे કારણ કે એક વર્ષમાં છ ઋતુઓ હોવાનું કહેવાય છે. અથવા એક અયનમાં ઉ=ાતુઓ હોય છે. એક યુગમાં દશ અવન કહેવામાં અાવ્યા છે આથી ૧૦૪૩=૩૦ ઋતુઓ થાય 2. ॥ ४थन माम पY ५५ट 25 Mय छे. 'सढी मासाः' मे युगमा १० भास होय