Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 508
________________ प्रकाशिका टीका-सप्तमवक्षस्कारस. २९ चन्द्रसूर्याणां विमानवाहकदेवसंख्यानि० ४५३ मण्डिा -आमरणादिना सुशोभिता कटिर्येषां ते तथा तेपाम्, 'तवणिज्जखुगणं' तपनीय खुराणाम्, सुवर्णसदृशखुराणाम्, 'तवणिज्जजीहाणं' तपनीयजिहानाम्, 'तबणिज्जतालुयाणं' तपनीयतालुकानाम्-मुवर्ण सरसतालुकानाम्, 'तवणिज्जजोत्तगसुपोजियाणं' तपनीष योगकसुयोजितानाम्, 'कामगाणं' कामगमानां तत्र-काम:-स्वेच्छा तेन गमो. गमनं येषां तादृशानाम्, "पीइगमाणं' प्रीतिगमानाम्, तत्र प्रीति चित्तस्योल्लासो विद्यते इत्यर्थः 'मणोगमाण' मनोगमानाम्, 'मणोरमाणे' मनोरमाणाम् 'अमियगईणं' अमितगतीनाम् 'अमियबलचीरियपुरिसकारपरकमाणं' अमित बलवीर्य पुरुषकारपराक्रमाणाम्, 'महयाहयहेसियकिलकिलाइयरवेणं' महताहयहेषितकिलकिलायितरवेण-शब्देन, तत्रमहता-बहुव्यापिना हयषितरूपो यः किलकिलायितरवा-सानन्दशब्दस्तेन 'मणोहरेणं' भाग और भी अनेक प्रकार के आभरणों से सुसज्जित हो रहा है 'तवणिज्यखुराण' इनके खुर सुवर्ण के जैसे है, 'तवणिज्ज जीहाणं' जिहा भी इनकी सुवर्ण के जैसी है, 'तवणिज्जतालुयाणं' तालु भी इनका तपनीय सुवर्ण के ही जैसा है 'तवणिज्ज जोत्सगसुयोजियाणं' तपनीय सुवर्ण के तारों से गुंथे हुए जेबरा से ये सब सुनियोजित हैं 'कामगाणं' इच्छानुसार ये सब गमन करते हैं, 'पीइगमाणं' चित्त के उल्लास के अनुरूप ही इनकी चाल है, 'मणोगमाणं' मन की गति जैसी इनकी गति है, 'मणोरमाणं' मन को रुचें ऐसे ये बडे सुहावने हैं, 'अमियगईणं' इनकी गति अपार है 'अमियबलवीरिय पुरिसकारपरकमाण' अपरं पार ही इनका बल, वीर्य और पुरुषकार पराक्रम है, 'महया हयहे. सिय किलकिलाइयरवेणं' ये सब के सब हय (घोडा) रूपधारी देव गण बहुत दूर २ तक व्याप्त होने वाले ऐसे अपने हिनहिनाट के शब्द से जो कि आनन्दयुक्त है 'मणोहरेणं' चित्त में आल्हाद का उत्पादक है 'अंबरं दिसाओ य पुरेता' अम्परतल एवं दिशाओं को वाचालित करते हैं और 'सोभयंता' उन्हें 'तवणिज्जखुराण' मेमनी मश सन २वी छ, 'तवणिज्जजीहाणं' पy मेमनी सुपर्ण २वी छ, तवणिजतालुयाण' ताण ५ ओभनु तपास सुवर्णरेयमीछे, 'तवणिज्जजोत्तगसुयोजियाण' तपासा सुवर्ण ना यभा२ ताराथी थेट राशनी साये में मयां सुनियोरि . कामगमाण' ५२छानुसार तो मां गमन ४रे छे. 'पीइगमाण' (यतन सासन मनु३५ ॥ तभनी या छ, 'मणोगमाणं' भनने गमे ये तमा घर सोडामा छ. 'अमियगईणं' अ५२ पार मेमनी जति छ. 'अमिय बलबीरिय पुरिसकारपरकमाणं' म५२ पार से समर्नु मण वीर्य भने ५३५४४२ पराभ, 'महया हयहेसियकिलकिलाइयरवेणं' मा ii . य (21) ३५धारी 34 धणे દૂર-દૂર પર્યંત વ્યાસ થનારા એવા પિતાના હણહણાટના શબ્દથી કે જે આનંદદાયક છે, 'मणोहरेणं' वित्तमा REBIT Sanनार छ. 'अंबरं दिसाओ य पुरेता' AARTE मने हिशामान पायासित ४२ छ भने 'सोभयंता' मन सुशामित ४३ 2. मातन

Loading...

Page Navigation
1 ... 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569