Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 509
________________ जन्मदीपप्रतिसा मनोहरेण-चित्ताल्हादजनकेन शब्देन 'पुरता' पूरयन्ति तथा-'अंबरं दिसाय शोभयंता' अम्बरं-गगनतलं दिशाः पूर्वादिकाः शोभयन्त्रि 'चत्तारि देवसाहसीओ' चत्वारि देवसहस्राणि 'इयरूवधारीण देवाणं' हयरूपधारिणां देवानाम्, 'उत्तरिल्लं बाहं परिवहं तित्ति' उत्तराम्उत्तरदिगवस्थितवाहों परिवहन्ति इति ॥ ___ सम्प्रति-संग्रहणी गागाद्वयं चाह-'गाहा' इत्यादि, 'गा' गाथा 'सोलसदेवसहस्सा हवंति चंदेसु चेव सूरेशु' पोडश देवसहस्राणि भान्ति चन्द्रेषु चैर सूर्येषु 'अद्वेव सहस्साई एकेकमि गहविमाणे' अष्टावेव सहस्राणि एकै कस्मिन् ग्रहविमाने, एकैकस्मिन ग्रहविमाने अष्टावेव देवसहस्राणि देववाह का भवन्तीत्यर्थः 'चत्तारिय सहस्साई णकहत्तंमिय हवंति इकिके' चत्वारि देवराहस्राणि नक्षत्रे च भवन्ति एकैकस्मिन् 'दो चेन सहस्साई तारारूवेकमेकंमि' द्वे एव सहस्रे तारारूपे एकै कस्मिन् इति । 'एवं सूरविमाणं गाव ताराख्यविमाणाणं' एवं-यथा सुशोभित करते हैं इस तरह के विशेषणों वाले एवं इस तरह की स्थितिवाले ये 'हयख्वधारीणं देवाणं चत्तारि देवसाहस्सीओ हय (घोडा) रूप धारी चार हजार देव 'उत्तरिल्लं बाहं परिवहनि' चन्द्रविमान की उत्तरदिगवस्थित वाहा को खेचते हैं। यहां आगत इन दो संग्रहणी गाथाओं का अर्थ इस प्रकार से है, सोलसदेवसहस्सा हवंति चंदेख चेव सूरेसु' चन्द्रमा एवं सूर्यके विमानों के बाहक सोलह २ हजार देव हैं, 'अटेच सहस्साई एक्केक्कमि गहविमाणे' एक एक ग्रह में आठ हजार ही देवयाहक हैं, 'चत्तारि य सहस्साई णखत्तमि य हवंति इकिक्के' एक एक नक्षत्र में चार हजार देव वाहक हैं । 'दो चैव सहस्साई ताराख्वेकमेकमि' एक एक तारा रुप में दो ही हजार देववाहक हैं, 'एवं सूरविमाणं जाव तारास्वषिमागाणं' जिस प्रकार से चन्द्रदिनान के परिवाहक सिंहादि देव पूर्वोक्त रूप से वर्णित करने में आये हैं उसी प्रकार से सूर्यविमान केभी परिवाहक सिंहादि देव वर्णन करने योग्य हैं ऐसा जानना चाहिये इसी तरह विशेष म. मा ४२नी स्थिति मा 'हयख्वधारीणं देवाण चत्तारि देवसाहस्सीओ' य (31) ३५थारी यार ७१२ ४५ 'उत्तरिल्लं वाई परिवहति' यन्द्रविमाननी ઉત્તરદિગવસ્થિત વાહાને ખેંચે છે. અહીં આગત આ બે સંગ્રહણી ગાથાઓનો અર્થ આ प्रमाणे छ-'सोलस देवसहस्सा हवंति चंदेसु चेव सूरेयु' यन्द्रमा मन सूर्यना विमानाना व साग-से २ ४५ छ, 'अदेव सहस्साई एक्केश्कमि गहविमाणे' मे४ मे घडमा 08 M२ वा छे. 'चत्तारि य सहस्साई णक्खत्तमि य हवंति इकिक्के' मे मे नक्षत्रमा या२ यार ७२ वा छे. 'दो चेव सहस्साई तारारूवेकमेक्कमि' से मे४ ता।३५ मे १ २ वा छ, 'एवं सुरविमाणं जाव तारास्वविमाणाण' रे પ્રકારે ચન્દ્રવિમાનના પરિવહક સિંહાદિ દેવ પૂર્વોક્ત રૂપથી વર્ણિત કરવામાં આવ્યા છે તેવી જ રીતે સૂર્યવિમાનના પણ પરિવાહક સિંહાર્દિદેવ વર્ણન કરવા ગ્ય છે એવું

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