Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जम्वृद्धीपप्राप्तिको गोंति' हेमन्तानां हेमन्तकालस्य भदन्त ! चतुर्थ फाल्गुनलक्षणं मासं कति-कियत्संख्यकानि नक्षत्राणि नयन्ति स्वास्तं गमनेन मासं परिसमापयन्तीति प्रश्ना, भगवानाइ-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'तिण्णि णक्वत्ता णेति' त्रीणि नक्षत्राणि फाल्गुनमासं नयन्तिपरिसमापयन्ति, कानि तानि तत्राह-'तं जहा' इत्यादि, 'तं जहा' तद्यथा-'महा पुन्या फग्गुणी उत्तराफग्गुणी' मघा पूर्वाफरगुनी उतराफलानी, तत्र-'महाचउद्दसराईदियाई णेइ' मघानक्षत्रं चतुर्दश रात्रिंदिवं नयति-परिसमापयति 'पुवा फल्गुणी पण्णरसराईदियाई
इ' पूर्वाफल्गुनी नक्षत्रं फाल्गुनमासस्य पञ्चदश रात्रिदिवं नयति-परिसमापयति 'उत्तराफग्गुणी एग राई दियं णेइ' उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र फाल्गुनमासस्य चरममेकं रात्रिदिवं नयति-परिसमापयति, तदेवं मिलित्या एतानि त्रीणि नक्षत्राणि हेमन्तकालस्य चतुर्थ फाल्गुनमासं परिसमापयन्तीति । 'तयाणं सोलसंगुलपोरिसीए छायाए सरिए अणुपरियट्टइ' तदा खलु चरमदिवसे पोडशागुलपौरूष्या छापया सूर्योऽनुपर्यटते-अनुपरावर्तते, एतदेव अंगुल अधिक त्रिपदा पौरूषी होती है। 'हेमंताणं भंते ! च उत्थं मासं कह णक्ख. त्ता णेति' हे भदन्त ! हेमन्तकाल के चतुर्थमास रूप फाल्गुनमास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! तिणि णक्खत्ता णेति' हे गौतम ! तीन नक्षत्र फाल्गुन मास को समाप्त करते हैं'तं जहा' वे नक्षत्र ये हैं 'महा, पुव्वाफग्गुणी, उत्तराफग्गुणी' मघा, पूर्वाफाल्गुनी
और उत्तरा फाल्गुनी इनमें 'महा चउद्दस राइंदियाई णेई' मघा जो नक्षत्र है वह फाल्गुनमास के १४ अहोरातों को समाज करता हैं 'पुव्वा फग्गुणी पण्णरसराई दियाई पूर्वा फाल्गुनी १५ अहोरातों को समाप्त करता है और 'उत्तराफग्गुणी एगं राइंदियं णेई' उत्तराफाल्गुनी एक दिनरात को समाप्त करता है इस तरह ये तीन नक्षत्र मिल कर हेमन्तकाल के फाल्गुनमास को लमाप्त करते हैं । 'तयाणं सोलसंगुल पोरिसीए छायाए सरिए अणुपरियइ' इस फाल्गुन मास के अन्तिम दिन में सोलह अंगुल अधिक पौरुषी रूप छाया से युक्त हुआ सूर्य परिभ्रमण पौसी साय छे. 'हेमंताणं भंते ! चउत्थं मास कइ णक्खत्ता गति' 3 महन्त ! उभन्तકાળના ચોથા માસ રૂપ ફાલ્સમાસને કેટલાં નક્ષત્ર પરિસમાપ્ત કરે છે? એના જવાબમાં प्रभु ४३ छ-'गोयमा ! तिम्णि णक्खत्ता ऐति' 3 गौतम ! नक्षत्र शुनमासने सभास रे छ-'तं जहा' त नक्षत्र मा प्रभारी छे 'महा, पुव्याफगुणी, उत्तराफग्गुणी' भधा शिशुना म उत्तगुनी सभा 'महा चउद्दस राइंदियाइं णेइ' भधारे नक्षत्र छ सभासना १४ दिवस-रातार समास ४२ छ 'पुव्वाफग्गुणी पण्णरस राइदियाई'
Yनी १५ अडराताने समास ४१ छ भने 'उत्तराफग्गुणी एग रोइंदियं णेई' त. - ફાલ્ગની એક દિવસરાતને સમાપ્ત કરે છે આ રીતે ત્રણ નક્ષત્ર મળીને હેમન્તકાળના
भासने सभा ४२ छे. 'तयणं सोलसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियहई' मा
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