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( १६ ) चाहिये। उपरान्त निवटने पर किसी अच्छे थान पर वहाँ के प्रतिष्ठित जैनी भाई के द्वारा खरीद लेना चाहिये। रसोई वगैरह के लिये बरतन परिमित ही रखना चाहिये और जोखम की कोई चीज़ या कीमती जेवर लेकर नहीं जाना चाहिये । आवश्यक
औषधियां और पूजनादि की पोथियाँ अवश्य ले लेना चाहिये । थोड़ा समान रहने से यात्रा करने में सुविधा रहती है। यात्रा में और कौन-सी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, वह परिशिष्ट में बता दिया गया है। यात्रेच्छु उस उपयोगी शिक्षा से लाभ उठावें ।
तीर्थयात्रा के लिये तीर्थों की रूपरेखा का मानसचित्र प्रत्येक भक्त हृदय में अङ्कित रहना आवश्यक है । वह यात्रा करे या न करे, परन्तु वह यह जाने अवश्य कि कौन-कौन से हमारे पूज्य तीर्थस्थान हैं और वह कहां हैं ? तीर्थों का यह सामान्य परिचय उन के हृदय में पुण्यभावना का वीज बो देगा जो एक दिन अंकुरित होकर अपना फल दिखायेगा । मुमुक्षु अवश्य तीर्थवंदना के लिये यात्रा करने जायेगा। शुभ-संस्कार व्यर्थ नहीं जाता। अच्छा तो आइये पाठक जैन तीर्थों की रूपरेखा का दर्शन कीजिये । भारत के प्रत्येक प्रान्त में देखिये आपके कितने तीर्थ हैं ?
पहले ही पंजाब प्रान्त से देखना आरंभ कीजिये ।
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