Book Title: Jain Tirth aur Unki Yatra
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Parishad Publishing House

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Page 160
________________ ( १५१ ) फैज़ बाज़ार (ऋषि भवन)-(१) अखिल भारतवर्षीय दि. जैन परिषद् कार्यालय स्थापित सन् १९२३ (२) वीर (साप्ताहिक) पत्र कार्यालय (३) परिषद् पब्लिशिंग हाउस (४) परिषद् परीक्षाबोर्ड (५) जैनऐज्यकेशन बोर्ड लालकिले के पास—(१) उर्दू का मन्दिर (सबसे प्राचीन मन्दिर) मन् १६५६ का सम्राट शाहजहां के समय का, संवत १५४८ की मूर्तियां, स्त्री व पुरुष समाज शास्त्र सभा, 'उर्दु का मन्दिर' वह इसलिए कहा गया था कि उसका निर्माण उन जैनियों के लिए किया गया था जो सम्राट शाहजहाँ की सेना में थे। एक दफा सम्राट औरङ्गजेब ने हुक्म निकाला था कि इस मन्दिर में बाजे न बजाये जाय, परन्तु उनके हुक्म की पाबन्दी न हो सकी, बाजे बराबर बजते रहे । यह जरूरी था कि बजाने वाला कोई न दिखता था सम्राट स्वयं देखने आए और संतोषित होकर उन्होंने अपना हुक्म वापिस ले लिया। कहा जाता है कि जिस स्थान पर यह मन्दिर है पहले वहाँ पर शाही छावनी थी और एक जैनी सैनिक की छोलदारी वहाँ पर लगी थी, जिन्होंने अपने लिये दर्शन करने के वास्ते एक जिन प्रतिमा उसमें विराजमान कर रक्खी थी। उपरान्त उसी स्थान पर यह विशाल मन्दिर बनाया गया। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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