Book Title: Jain Tirth aur Unki Yatra
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Parishad Publishing House

View full book text
Previous | Next

Page 161
________________ ( १५२ ) (२) जैन स्पोर्टसक्लब कूचा बुलाकी बेगम (परेडग्राउड पास) १) जैन धर्मशाला ला० लच्छूमलजी काग़जी स्थापित सन् १६२८ चान्दनी चौक दरीबा के पास-(१) गिरधारीलाल प्यारेलाल जैन एज्यूकेशन फण्ड आफिस ( हाउस मकान नं० ३३ ।। 'गली खजाची ( दरीबा )--(१) चैत्यालय लाव्हजारी. लाल, ला० साहबसिंह का बनाया हुआ सन १७६१ लगभग १५५ वर्ष पुराना । (२) चैत्यालय ला० गुलाबराय मेहरचन्द मुगलों के समय का । कटरा मशरू ( दरीबा)-(१) धर्मशाला ला० श्री राम वकील जैन स्थापित सन् १९०६ । कूचा सेठ ( दरीबा )-(१) बड़ा मन्दिर सम्बत् १८८५ सन् १८२८ में बनना प्रारम्भ हुआ मंगशिर बदी १३ सम्बत् १८६१ में प्रतिष्ठा हुई, स्फटिक की मूर्तिये, सम्बत् १२५१ की प्रतिमा, हस्त लिखित लगभग १४०० व छापे के प्रन्थों का संग्रह, पुरुष समाज शास्त्र सभा । (२) बर्तन फण्ड (जैन सेवा समिति) (३) छोटा मन्दिर- ला० इन्द्रराज का बनाया हुआ लगभंग १०६ वर्ष पुराना अर्थात् सन् १८४० का सम्बत् १५४६ की प्रतिमायें। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 159 160 161 162 163 164 165 166