Book Title: Jain Tirth aur Unki Yatra
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Parishad Publishing House

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Page 165
________________ ( १५६ ) ८. पर्वत पर चढ़ते हुए भगवान् के चरित्र और पर्वत की पवित्रता ___ का ध्यान रखना चाहिये। इससे चढ़ाई खलती नहीं है। १. ट्रेन में बेफिक्री से नहीं सोना चाहिये और न अपना रुपया किसी के सामने खोलना चाहिये । उसे अपने पास रक्खें । १०. साथ में मजबूत ताला रक्खें, जो ठहरने के स्थान में लगावें। ११. खाने पीने का सामान देखकर विश्वासपात्र मनुष्य से खरीदें । स्त्रियों और बच्चों को अकेले मत जाने दो । १२ यात्रा में बहुत सामान मत खरीदो; यदि खरीदो तो पार्सल से घर भेज दो। १३. यदि संयोग से कोई यात्री रह जाय तो दूसरे स्टेशन पर उतर ___ कर तार करना चाहिये; उसे साथ लेकर चलना चाहिए। १४, यदि किसी डिब्बे में अपना सामान रह जाये तो उस डिब्बे का नं० लिख कर तार करना चाहिये, जिस से अगले स्टेशन पर वह उतार लिया जाय । प्रमाण दे कर उसे वापिस ले लेना चाहिए। १५. किसी भी पंडे या बदमाश का विश्वास नहीं करना चाहिए। १६. कुछ जरूरी औषधियाँ और अमृतधारा, स्प्रिट, टिन्चर-: आयोडीन भी साथ रखना चाहिये । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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