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( ६६ ) चंद्रगिरि पर्वत पर सबसे छोटा मंदिर "चंद्रगुप्त-बसती" है जिसकी एक पत्थर की सुन्दर चौखट में पाँच चित्रपट्टिकायें दर्शनीय हैं । इनमें श्रुतकेवली भद्रबाहु और सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन सम्बन्धी चित्र बने हुए हैं । पार्श्वनाथस्वामी की मर्ति विराजमान है। दीवारों पर भी चित्र बने हुये हैं। श्रीभद्रबाहु और चन्द्रगुप्त का यह सुन्दर स्मरण है।
फिर 'शासनबसती' के दर्शन करना चाहिये, जिसमें एक शिलालेख दूर से दिखाई पड़ता है । भ० आदिनाथ की विराजमान मूर्ति है । इस मंदिर को सन् १११७ में सेनापति गंगराज ने बनवाया था और इसका नाम 'इन्द्रकुलगृह' रक्खा था । ___ वहीं 'मजिगएण बस्ती' भी एक छोटा मंदिर है, जिसमें चौदहवें तीर्थङ्कर श्री अनंतनाथ की पाषाण मूर्ति विराजमान है । दीवारों पर सुन्दर फूल बने हुए हैं ।
'चंद्रप्रभबस्ती' के खुले गर्भगृह में आठवें तीर्थङ्कर श्री चंद्रप्रभ की मनोज्ञ मूर्ति विद्यमान हैं । इसे गंगवंशीय राजा शिवमार ने बनवाया था ।
'सुपार्श्वनाथवस्ती' में भ० सुपार्श्वनाथ की पद्मासन प्रतिमा विराजमान है।
चामुंडरायवस्ती' पहाड़ के सबसे बड़े मंदिरों में से है। इसमें २२ वे तीर्थकर श्री नेमिनाथजी की प्रतिमा दर्शनीय है।
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