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रेल स्टेशन का टिकिट लेकर वहां जावे । यद्यपि यहां जैनियों के ५ गह हैं, परन्तु जिन मन्दिर नहीं है-एक बगीचे में जिन प्रतिमा है । कांजीवरम् बहुत प्राचीन शहर है और उसका सम्बन्ध जैनों, बौद्धों और हिन्दुओं से है ।
पेरुमण्डूर
पेरुमण्डूर तिण्डिवनम् से ४ मील दूर है; जहां दि० जैनियों की वस्ती काफी है । ग्राम में दो जिन मन्दिर हैं और सहस्त्राधिक जिन मूतियाँ हैं । जब मैलापुर समुद्र में डूब ने लगा, तब वहाँ की मूर्तियाँ लाई जाकर यहां बिराजमान की गई थीं। दो सौ वर्ष पूर्व संधि महामुनि और पण्डित महामुनि ने ब्राह्मण से वाद करके जैन धर्म की प्रभावना की थी। तभी से यह दि० जैनियों का विद्यापीठ है-एक दि० जैन पाठशाला यहाँ बहुत दिनों से चलती है।
श्री क्षेत्र पोनूर पोन र क्षेत्र तिण्डिवनम् से करीब २५ मील दूर एक पहाड़ की तरैटी में है। वहां पर पहले सकल लोकाचार्य वर्द्धन राजनारायण शम्भवरायर नामक जैनी राजा शासन करते थे। शक सं० १२६८ में पहाड़ पर उसी राजा के राज्यकाल में एक विशाल मन्दिर बनवाया गया था, जिसमें श्री पार्श्वनाथजी की प्रतिमा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com