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यह प्रतिमा करीब ४२ फीट ऊंची है। यहीं पर २० गज ऊंचा एक सुन्दर मानस्थंभ अद्भुत कारीगरी का दर्शनीय है । इस मूर्ति को १४३२ में कारकल-नरेश-वीर-पाण्ड्य ने निर्माण कराया था। यहाँ भैरव ओडेयर वंश के सबही राजा प्रायः जैनी थे । सान्तारवंश के महाराजाधिराज लोकनाथरस के शासनकाल में सन् १३३४ में कुमुदचंद्र भट्टारक के बनवाये हुये शान्तिनाथ मन्दिर को उनकी बहनों और राज्याधिकारियों ने दान दिया था। शक सं० १५०८ में इम्मडिभैरवराज ने वहाँ से सामने छोटी पहाड़ी पर 'चतुर्मुख वस्ती' नामक विशाल मन्दिर बनवाया था । इस मन्दिर के चारों दिशाओं में दरवाजे हैं और चारों ओर १२ प्रतिमायें सात-सात गज़ की अत्यन्त मनोज्ञ विराजमान हैं। यहाँ से पश्चिम दिशा की ओर ११ बिशाल मन्दिर अनूठे बने हुये हैं । कारकल से ३४ मील की दूरी पर वारंग ग्राम है। .
वारंग-क्षेत्र
वारंगक्षेत्र हरी-भरी उपत्ययका के बीच में स्थित मनोहर दिखता है। यहाँ पर नेमीश्वर बस्ती' नामक मंदिर कोट के भीतर दर्शनीय है। इस मंदिर में इस क्षेत्र सम्बन्धी 'स्थलपुराण' और 'माहात्म्य' सुरक्षितथा अब वह वराँग-मठ के स्वामी भट्टारक देवेन्द्रकीर्तिजी के पास बताया जाता है, जो होम्बुच मठ में रहते हैं। उन्हें इस क्षेत्र का माहात्म्य प्रगट करना चाहिये । मन्दिर के
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