Book Title: Jain Tirth aur Unki Yatra
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Parishad Publishing House

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Page 153
________________ (१४४ ) विद्वान् बुलाए जाते हैं । एक दालानमें स्वाध्यायशाला है तथा पुरुष वर्ग स्वाध्याय किया करते हैं। तीसरे दालान में स्त्रियां शास्त्र सुनती व स्वाध्याय किया करती हैं ऊपर के भाग में सुनहरी अक्षरों में कल्याण मन्दिर स्तोत्र लिखा हुआ है । इसके अन्दर विशाल सरस्वती भंडार है जिसमें हस्त लिखित लगभग १८०० शास्त्र व छपे हुए संस्कृत भाषा के ग्रन्थों का अच्छा संग्रह है इससे स्थानीय व बाहर के विद्वान् यथेष्ट लाभ उठाते हैं स्वयं लेखक ने अनेक बार प्रन्थों को बाहर भेजा है । लेखक की भावना है कि वह दिन आवे जब देहली के विशाल प्रन्थों का जिनकी तादाद ६००० के करीब है उद्धार हो । क्या कोई जिनवाणी भक्त इस ओर ध्यान देगा। यहीं स्त्रियों की भी शास्त्र सभा होती है इधर से एक जीना नीचे जाता है जिसमें प्रायः स्त्री समाज आती जाती है वह नीचे उतर कर श्री जैन कन्या शिक्षालय भवन में पहुंचता है। शिक्षालय सन् १९०८ से स्थापित है। पाँचवीं कक्षा तक की शिक्षा दी जाती है। तीन सौ से ऊपर जैन व जैनेतर बालिकायें शिक्षा प्राप्त कर रही हैं इसको परिश्रम कर मिडिल कक्षा तक पहुँचा देना चाहिये। यहीं ऊपर, नीचे की मंजिल में स्त्री समाज की दो शास्त्र सभायें होती हैं मन्दिरका सहन भी काफी बड़ा है जिसमें बहुधा अग्रवाल दि० जैन पंचायत की बैठकें हुआ करती हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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