Book Title: Jain Tirth aur Unki Yatra
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Parishad Publishing House

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Page 155
________________ ( १४६ ) लक्ष्य में तीन जागीर सनद सार्टीफिकेट आदि प्राप्त हुए। आप भरतपुर राज्य के कौंसिलर थे आपके पुत्र शुगनचन्द जी का फोटू देहली के लाल किले में सुरक्षित है और उक्त फोटू में आपको 'राजा' शुगनचन्द लिखा हुआ है। ___ मन्दिर के बाहर जैन मित्रमंडल कार्यालय है, जो सन् १६१५ से स्थापित है और जिसने अब तक १०० से ऊपर बहुमूल्य ट्रैक्ट प्रकाशित किए हैं जिसको सरकार ने Chief Litreary Society लिखा है तथा मंडल द्वारा स्थापित सन् १९२७ से श्री वर्धमान पब्लिक लायब्रेरी है जिसमें धार्मिक पुस्तकों का खासा संग्रह है। मैं लायब्रेरी व मन्डल को उन्नत दशा में देखने का उत्सुक हूँ। कुछ कमियां हैं जिन पर ध्यान देने की तुरन्त श्रावश्यक्ता है । इसके बाद ही इसी' नये मन्दिर जी की जमीन पर बीबी द्रोपदीदेवी की विशाल धर्मशाला है जिसमें कई सभाओं के कार्यालय हैं जिनका कुछ कार्य नजर नहीं आता। यह धर्मशाला बहुधा विवाह शादी उठावनी आदि के काम में आती है। यहां यात्रियों को ठहरने के लिये कोई खास सुविधा नहीं है। प्रबन्धक व ट्रस्टीमहोदयों को खास ध्यान देकर ऐसे नियम बना देने चाहिये जो यात्रियों को विशेष उपयोगी सिद्ध हो सके। ® पंजाब डिस्ट्रिक्ट गजेटियर देहली डिस्ट्रिक्ट सन् १९१२ पृष्ठ ७८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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