Book Title: Jain Tirth aur Unki Yatra
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Parishad Publishing House

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Page 156
________________ ( १४७ ) यहां आस पास बहुधा जैनियों के ही घर हैं । (२) धर्मशाला (कमरा) धर्मपत्नी ला० चन्दूलाल मुलतान वालों का स्थापित संवत् १६७६ सन् १९२२ गली पहाड़ के बाहर (१) (२) चैत्यालय ला० मीरीमलजी । चैत्यालय ला० भौंदूमलजी, मस्जिद खजर ( १ ) - पंचायती मन्दिर लगभग २०३ वर्ष (अर्थात् सन् १७४३) पुराना ला० आयामल आफीसर कमसरियेट डिपार्टमैंट आफ महोम्मद शाह का दिया हुआ पश्चात् पंचायती ३ विशाल प्रतिमायें, ( पार्श्वनाथजी की मूर्ति ५ फुट ६ इच ऊँची और ३ फुट ५ इव चौड़ी, दो श्वेत रंग की प्रतिमायें ३ फुट ५ इंच ऊँची २ फुट ८ इंच चौड़ी हैं ) रत्न प्रतिमायें, हस्तलिखित लगभग ३००० शास्त्र, छपे हुए शास्त्रों का संग्रह । (२) धर्मशाला पचायती मन्दिर । S मस्जिद खजूर के बाहर - (१) पद्मावती पुरवाल दि० जैन मन्दिर स्थापित सन् १६३१ । (२) मेहर मन्दिर ला० मेहरचन्द का बनाया हुआ जिस में एक लाख ६ हजार रुपये खर्च हुए, प्रतिष्ठा २३ जनवरी सन् १८७६ को हुई । ५२ चैत्यालयों ( नन्दीश्वर द्वीप) की अपूर्व रचना, छपे हुए व हस्त लिखित शास्त्रों का संग्रह, प्रातः काल शास्त्र सभा । वैद्यवाड़ा - (१) दि० जैन बड़ा मन्दिर मय शान्तिनाथ स्वामी का चैत्यालय लगभग २०५ वर्ष पुराना (अर्थात् सन् १७४१) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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