Book Title: Jain Tirth aur Unki Yatra
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Parishad Publishing House

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Page 151
________________ ( १४२ ) जो यात्री विदेशों से भारत भ्रमण के लिये यहाँ आते हैं वे इस वेदी को देखे बिना देहली से नहीं जाते। जिस कमल पर श्री आदिनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान है उस कमल की लागत दस हजार रुपये तथा वेदी की लागत सवा लाख रुपये बताई जाती है । कमल के नीचे चारों दिशाओं में जो सिंहों के जोड़े बने हुए हैं। उनकी कारीगरी अपूर्व और आश्चर्यजनक है । यह प्रतिमा संवत् १६६४ की है । यह दुःख की बात है कि मूल नायक प्रतिमा इस समय मन्दिरजी में मौजूद नहीं है । कहा जाता है कि वह खण्डित हो गई और बम्बई के समुद्र में जल प्रवाहित करा दी गई है। वेदी के चारों ओर दीवारों पर दर्शनीय बहुमूल्य चित्रकारी है। यह चित्रकारी बड़ी खोज के साथ शास्त्रोक्त विधि से बनबाई गई है। जैसे वेदी के पीछे ३ चित्र पावापुरी, श्रुतस्कंध यंत्र, और मुक्तागरि के अङ्कित हैं। इसके ऊपर | भक्तामर काव्य यंत्र सहित इसके ऊपर , भाव, वेदी के दांई ओर पाँच चित्र १५ भक्तामर काव्य, १५ भाव, वेदी के बाई ओर ५चित्र १५ भक्तामर काव्य १५ भाव, सामने ३ चित्र : भक्तामर काव्य भाव इस तरह चारों ओर १६ चित्र ४८ भक्तामर काव्य यंत्र सहित ४८ भाव हैं जो दर्शनीय हैं। कुछ भावों के नाम ये है-सन+आसारेसनादीद पृष्ठ ४७-४८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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