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( १३१ ) जाते हैं, जिनपर उनका नाम खुदा है। महावीरजयंती को मेला भरता है।
श्री सोनागिरि सिद्धक्षेत्र ललितपुर से सोनागिरि आवे। यह पर्वतराज स्टेशन से तीन मील दूर है कई धर्मशालायें हैं । नीचे तलहटी में १६ मंदिर हैं और पर्वत पर ६० मंदिर हैं । भट्टारक हरेन्द्रभूषणजी का मठ
और भंडार भी है । यह पर्वत छोटासा अत्यन्त रमणीक है । यहां से नङ्ग-अनङ्गकुमार साढ़े पांच करोड़ मुनियों के साथ मुक्ति गये हैं । पर्वत पर सब से बड़ा प्राचीन और विशाल मन्दिर श्री चन्द्रप्रभुस्वामी का है। इसमें ७॥ फीट ऊँची भ० चन्द्रप्रभु की अत्यन्त मनोज्ञ खगासन प्रतिमा विराजमान है । इस में एक हिन्दी का लेख किसी प्राचीन लेख के आधार से लिखा गया है, जिस से प्रगट है कि इस मन्दिर को सं०३३५ में श्री श्रवणसेन कनकसेन ने बनवाया था । इस का जीर्णोद्धार सं० १८८३ में मथरावाले सेठ लखमीचन्दजी ने कराया था। मन्दिरों पर नम्बर पड़े हुए हैं. जिस से वन्दना करने में ग़लती नहीं होती है। यहाँ की यात्रा करके ग्वालियर जाना चाहिये।
ग्वालियर स्टेशन से दो मील चम्पाबाग में धर्मशाला है। यहां २० दि जैन मन्दिर और चैत्यालय है। चम्पावाग और चौकबाजार
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