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( १३४ ) हैं। पहले यहाँ पर दि. जैनाम्नाय के भट्टारकजी सब प्रबंध करते थे; परन्तु उनकी मृत्यु के बाद से जयपुर राज्य द्वारा नियुक्त दि० जैनों की प्रबंधक कमेटी सब देख भाल करती है । जबसे कमेटी का प्रबन्ध हुआ है, तब से क्षेत्र की विशेष उन्नति हुई है
और हजारों की संख्या में यात्री पहुँचता है उत्तर भारत में इस क्षेत्र की बहुत मान्यता है ।
___ सवाई माधोपुर (चमत्कारजी) महावीरजी से सवाई माधोपुर जावे । यहाँ पर सात शिखिरवंद दि० जैनमन्दिर और एक चैत्यालय है। यहाँ से करीब १२ मील की दूरी पर रणथंभोर का प्रसिद्ध किला है जिसके अन्दर एक प्राचीन जैन मंदिर है । उसमें मूलनायक चन्द्रप्रभु भगवान की प्रतिमा मनोज्ञ और दर्शनीय है । सवाई माधोपुर से वापस आकर चमत्कारजी अतिशयक्षेत्र के दर्शन करना चाहिये। यह क्षेत्र वहाँ से दो मील है । इसमें एक विशाल मंदिर और नशियां जी हैं। कहते हैं कि संवत् १८९८ में एक स्फटिकमणिकी प्रतिमा (6 इंच की) एक बगीचे में मिली थी। उस समय यहाँ केशर की वर्षा हुई थी। इसी कारण यह स्थान चमत्कारजी कहलाता है। यहाँ से यात्रियों को जयपुर जाना चाहिये।
जयपुर जयपुर बहुत रमणीक स्थान है और जैनियों का मुख्य केन्द्र है । यहाँ दि० जैन शिखिरवंद मंदिर ५२, चैत्यालय ६८
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