Book Title: Jain Tirth aur Unki Yatra
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Digambar Jain Parishad Publishing House

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Page 143
________________ ( १३६ ) मंदिर सं० १७६३ का बना कहा जाता है, परन्तु उसमें प्रतिमायें १४वीं-१५वीं शताब्दि की विराजमान हैं । सं० १८५१ में जयपुर के पास फागी नगर में बिम्बप्रतिष्ठोत्सव हुआ था । उसमें अजमेर के भ० भुवनकीर्ति, ग्वालियर के भ० जिनेन्द्रभूषण और दिल्लीके भ० महेन्द्रभूषण सम्मिलित हुये थे। उनकी प्रतिष्ठा कराई हुई प्रतिमायें जयपुर में विराजमान हैं । एक प्रतिमा से प्रगट है कि सं० १८८३ में माघशुक्ल सप्तमी गुरुवार को भ. श्री सुरेन्द्र कीर्तिके तत्वावधान में एक बिम्ब प्रतिष्ठोत्सव खास जयपुर नगर में हुआ था। इस उत्सव को छावड़ा गोत्री दीवान बलचन्द्रजी के सुपुत्र श्री संघवी रामचन्द्रजी और दीवान अमरचन्द्रजी ने सम्पन्न कराया था। सांगानेर, चाम्सू आदि स्थानों में भी नयनाभिराम मंदिर हैं । जयपुर के दर्शनीय स्थानों को देखकर वापस दिल्ली में आकर सारे भारतवर्ष के तीर्थों की यात्रा समाप्त करना चाहिये। इस यात्रा में प्रायः सब ही प्रमुख तीर्थस्थान आ गये हैं; फिर भी कई तीर्थों का वर्णन न लिखा जाना संभव है। 'दिगम्बर जैन डायरेक्टरी' में सब तीर्थों का परिचय दिया हुआ है। विशेष वहां से देखना चाहिये। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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