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( २ ) मील है। वहाँ पाषाण का एक विशाल और प्राचीन मंदिर है। उसमें १६ स्थंभों का मण्डप शिल्पकारी का अच्छा नमूना है । भ० पार्श्वनाथजी की व श्री ऋषभदेवजी की मनोज्ञ प्रतिमायें विराजमान हैं। इस मंदिर की कथा ताड़पत्र पर लिखी रक्खी है, जिससे प्रगट है कि यहां दो शिकारियों को जमीन खोदते हुये श्री ऋषभदेव की प्रतिमा मिली थी, जिसे वे पूजने लगे । भाग्यवशात् एक मुनिराज वहां से निकले, जिन्होंने उस प्रतिमा के दर्शन किये। उन्होंने वहां के राजा की पुत्री की भूतबाधा दूर करके उसे जैनधर्म में दीक्षित किया और उससे मंदिर बनवाया । मंदिरों के जीर्णोद्धार की आवश्यकता है ।
श्रीक्षेत्र मनारगुडी श्री मनारगुडी क्षेत्र जिला तंजोर में निडमंगलम् S. I. R. स्टेशन से ६ मील दूर है । यह स्थान श्री जीवंधर स्वामी का जन्मस्थान बताया जाता है । कहते हैं कि यहां दो सौ वर्ष पहले एक मुनिजी पर्णकुटिका में तपस्या करते थे । उसी में उन्होंने श्री पार्श्वनाथजी की प्रतिमा विराजमान की थी । जब यह बात कुम्भकोनम् के जैनियों को ज्ञात हुई तो उन्होंने यहां आकर मंदिर बनवादिया । तबसे यहां बराबर बैशाख मास के शुक्लपक्ष में यात्रोत्सव १० दिन तक होता है। मंदिर में श्री मल्लिनाथस्वामी की प्रतिमा विराजमान है । इनके अतिरिक्त हुम्वच पद्मावती
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