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( १२७ ) हो चुका है। धर्मशाला बनवाई जा चुकी है तथा बावड़ी भी खुदवाई जा चुकी है।
थवोनजी चन्देरी से १ मील की दूरी पर थूवोनजी क्षेत्र है । इसका प्राचीन नाम "तपोबन" है जो अपभ्रंश होकर थोवन बन गया है। यहां २५ दि० जैन मन्दिर हैं, सब से प्राचीन मन्दिर पाड़ाशाह का बनवाया हुआ है जो सोलहवीं शताब्दी का है । एक मन्दिर में भगवान आदिनाथजी की प्रतिमा लगभग २५ फीट ऊंची है।
थोवनजी चंदेरी से १२ मील थोवनजी जावे । वहाँ १६ दि० जैन मन्दिर हैं, जिनमें १०-१० गज की कई प्रतिमायें खड़गासन विराजमान हैं । यहाँ से वापिस ललितपुर आवे और वहां से ३४ मील टीकमगढ़ जावे । यहाँ ७ मन्दिर व एक धर्मशाला है ।
पपौराजी टीकमगढ़ से तीन मील पपौराजी तीर्थ स्थान है। वहां ८० विशाल दिगः जैन मंदिर है। एक मन्दिरजी में सात गज ऊँची प्रतिमा विराजमान है। सबसे प्राचीन मंदिर भौंहरे का है, जो सं०१२०२ विक्रमाब्दमें प्रसिद्ध चन्देलवंशीय राजा मदनवर्मदेव के समय का बना हुआ है। कार्तिक सुदी १४ को हर साल मेला होता है। वापस टीकमगढ़ आवे ।
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