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( ८६ ) संस्थायें भी हैं।
बेलगांव प्राचीन वेणुग्राम है। इसे रहवंश के लक्ष्मीदेव नामक राजा ने अपनी राजधानी बनाया था। रहवंश के सबही राजा जैनी थे। जनश्रुति है कि एक दफा यहाँ मुनिसंघ आया । राजा रात को ही वन्दना करने गया । लौटते हुये इत्तफाक से मशाल की लौ बांस के झरमुट में लगगई जिसने बनाग्निका रूप धारण कर लिया। मुनिसंघ ध्यानलीन था-वह भी उस वनाग्नि में अन्तगति को प्राप्त हुआ। राजा और प्रजा ने जब यह सुना तो उन्हें बड़ा पश्चाताप हुआ। प्रायश्चित रूप उन्होंने किले के अन्दर १०८ भव्य जिनमंदिर बनवाये । इस प्रकार बेलगांव एक अतिशय क्षेत्र प्रमाणित होता है । इस समय भी वहां चार दि० जैन मंदिर दर्शनीय हैं। किले के १०८ मंदिरों को आसिफखाँ नामक मुसलमान शासक ने तुड़वा डाला था। तो भी उनमें से तीन मंदिर किसी तरह अब शेष रहे हैं, जो अनूठी कारीगरी के हैं । यद्यपि आज उनमें प्रतिमा विराजमान नहीं है तो भी उनके दर्शन मात्र से वंद्यभाव होते हैं। इनमें 'कमलबस्ती' अपूर्व है, जिसकी छत से लटकते हुये पाँच कमल-छत्र शिल्पकारी की आश्चर्यकारी रचना है।
इलोरा गुफामंदिर
मनमाड जंकशन से लारी में इलोरा जाना चाहिये ।
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