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( ६७ ) है ! उसकी कला अपूर्व है ! शिल्पी को धन्य है जिसने शिल्प कला के चरमोत्कर्षका ऐसा सफल और सुन्दर नमूना जनता के सम्मुख रक्खा हैं !'
बाहुबलिजी प्रथम कामदेव थे । कहते हैं कि 'गोम्मट' शब्द उसी शब्द का द्योतक है । इसीलिये वह गोम्मटेश्वर कहलाते हैं। उनका अभिषेकोत्सव कई वर्षों में एक बार होता है। पिछला महामस्तकाभिषेकोत्सव सन १९४० के माघमास में सम्पन्न हुआ था। इस मूर्ति के चहुँओर प्राकार में छोटी २ देवकुलिकायें हैं, जिनमें तीर्थङ्कर भ० की मूर्तियां विराजमान है। ___चंद्रगिरि पर्वत इंद्रगिरि से छोटा है; इसीलिये कनड़ी में उसे चिक्कवेट्ट कहते हैं । वह आसपास के मैदान से १७५ फीट ऊंचा है। संस्कृतभाषा के प्राचीन लेखों में इसे 'कटवप्र' कहा है। एक प्राकार के भीतर यहाँ पर कई सुन्दर जिन मंदिर हैं एक देवालय प्राकार के बाहर है। प्रायः सबही मंदिर द्राविड़-शिल्पकला की शैली के बने हैं। सबसे प्राचीन मंदिर आठवीं शताब्दि का बताया जाता है । पहले ही पर्वत पर चढ़ते हुये भद्रबाहुस्वामी की गफा मिलती है, जिसमें उनके चरणचिन्ह विद्यमान हैं। भद्रबाहुगुफासे ऊपर पहाड़ की चोटी पर भी मुनियों के चरणचिन्ह हैं। उनकी वंदना करके यात्री दक्षिणद्वार से प्राकार में प्रवेश करता है घुमते ही उसे एक सुन्दराकार मानर्थभ मिलता है, जिसे 'कूगेब्रह्मदेव स्तंभ, कहते हैं। यह बहुत ऊंचा है और इसके
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