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मकबरा अच्छी इमारत है । आगे हस्सन होते हुये बेलर पहुँचते हैं। यहाँ के केशवमन्दिर में कई जिनमूर्तियाँ रक्खी हुई हैं। वहाँ से हलेबिड होता जावे।
हलेविड-(द्वारासमुद्र)
हलेविड का प्राचीन नाम द्वारासमुद्र है। यह 'पूर्वकाल में होयसलवंश के राजाओं की राजधानी थी। राजमंत्री हुल्ल और गंगराज ने यहाँ कई मन्दिर निर्माण कराये थे। 'विजयपार्श्वबस्ती' नामक मन्दिर को विष्णुवर्द्धन नरेश ने दान दिया था और भगवान् पार्श्वनाथ के दर्शन करके उनका नाम 'विजयपार्श्व' रक्खा था । इस मन्दिर को उनके सेनापति गङ्गराज ने बनवाया था। इस मन्दिर में भ० पार्श्वनाथ की खड्गासन प्रतिमा १६ हाथ की अत्यन्त मनोहर है । जिस समय इस प्रतिमा की प्रतिष्ठा हुई थी उसीसमय राजा विष्णुबद्धन के एक पुत्ररत्न उत्पन्न हुआ था और उन्हें संग्राम में विजय लक्ष्मी प्राप्त हुई थी, इसीलिये उन्होंने इस प्रतिमा का नाम 'विजयपार्श्वनाथ' रक्खा था । इस मन्दिर में कसौटी-पाषाण के अद्भुत स्थंभ हैं, जिनमें से आगे वाले दो स्थंभों को पानी से गीला करके देखने से मनुष्य की उल्टी और फैली हुई छाया दिखती है। इसके अतिरिक्त (१) श्री आदिनाथ (२) श्री शांतिनाथजी के भी दर्शनीय मन्दिर हैं। एक समय यहाँ पर ७२० जैन मन्दिर थे, परन्तु लिंगायतों ने उन्हें नष्ट कर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com