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( ६० ) जो प्राचीन कांची है और जहां पर अकलङ्कस्वामी ने बौद्धों को राजसभा में परास्त किया था, होता हुआ पोन्नूर जाये।
पोन्नूर-तिरुमलय पोन्नर ग्राम से ६ मील दूर तिरुमलय पर्वत है । वह ३५० गज़ ऊंचा है। सौ गज़ ऊपर सीड़ियों से चढ़ने पर चार मंदिर मिलते हैं, जिनके आगे एक गुफा है । उस गुफा में भी दो दर्शनीय बड़ी २ जिनप्रतिमा हैं। श्री आदिनाथजीके मुख्य गणधर वृषभसेन की चरणपादुका भी हैं; जिनको सब लोग पूजते हैं। गफा में चित्रकलाभी दर्शनीय है। गफा के पर्वतकी चोटीपर तीन मंदिर और हैं। यहां के शिलालेखों से प्रगट है कि बड़े २ राजामहाराजाओं ने यहाँ जिनमंदिर बनवाये थे और ऋषिगण यहाँ तपस्या करते थे। यहां के 'कुदवई' जिनालय को सूर्यवंशी राजराज महाराजा की पुत्री अथवा पांचवें चालुका राजा विमलादित्य की बड़ी बहन ने बनवाया था । श्री परवादिमल्ल के शिष्य श्री अरिष्टनेमिआचार्य थे, जिन्होंने एक यक्षिणी की मूर्ति निर्माण कराई थी । इस प्रकार यह तीर्थ अपनी विशेषता रखता है। पोन्नर से वापस मद्रास आवे; जहां से बेंगलोर जावे ।
बैंगलोर
रियासत मैसूर की नई राजधानी और सुन्दर नगर है।
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