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इस स्थान का सम्बन्ध भ० चन्द्रप्रभु से बताया जाता है । यहां प्रति वर्ष आश्विन मास में मेला भी होने लगा है । यहां से शिकोहाबाद जावे और स्टेशन से सवारी करके १३ मील बटेश्वरसौरीपुर जावे ।
बटेश्वर- सौरीपुर
सौरीपुर यादववंशी राजा शूरसेन की राजधानी है । यहीं पर भगवान् नेमिनाथजी का जन्म हुआ था | बटेश्वर से एक मील सौरीपुर के प्राचीन मन्दिर दर्शनीय हैं। छत्री में नेमिनाथ भ की चरण पादुकायें हैं। दालान में एक प्रतिमा मूँगा जैसे रंग वाले पाषाण की श्री नेमिनाथ की महामनोहर अतिशययुक्त है । बटेश्वर में एक विशाल सुदृढ़ दि० जैन मन्दिर यहां के भट्टारकों का बनवाया हुआ है, जिसकी नींव जमनाजी में है और जिसमें श्री अजितनाथ भ० की विशालकाय प्रतिमा विराजमान है । कहते हैं कि यहीं से अन्तः कृत केवली धन्य मोक्ष पधारे थे । श्री जगतभूषण आदि भट्टारकों का पट्ट भी यहां रहा है। यहां से वापिस शिकोहाबाद आकर फरुखाबाद का टिकट लेना चाहिये । फरुखाबाद से क़ायमगंज जाना चाहिये, जहाँ स्टेशन से इक्का करके श्री कम्पिला जी के दर्शन करने के लिये जावे ।
कम्पिला जी (फर्रुखाबाद )
कम्पिलाजी ही प्राचीन काम्पिल्य है, जहां भ० विमल
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