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श्रेयांसनाथजी की मनोहर प्रतिमा विराजमान है सारनाथ के अजायबघर में यहां की खुदाई में निकली हुई प्राचीन दि० जैन मूर्तियां भी दर्शनीय हैं। अशोक का स्थंभ मन्दिरजी के सामने ही खड़ा है। पास मेंही बौद्धोंके विहार दर्शनीय बने हैं जैनधर्मप्रचार के लिये यहां एक उपयोगी पुस्तकालय स्थापित किया जाना आवश्यक है। यहां से चंद्रपुरी जावे ।
चंद्रपुरी
गंगा किनारे बसा हुआ एक छोटा सा गांव प्राचीन चन्द्रपुरी की याद दिलाता है । यही गंगा किनारे सुदृढ़ और मनोहर दि० जैन मन्दिर और धर्मशाला बनी हुई है। यहीं चंद्रप्रभ भ० का जन्म हुआ था । स्थान अत्यन्त रमणीक है। उसी मोटर से बनारस आवे और वहां से सीधा आरा जावे । किन्तु जो यात्रीगण श्रावस्ती और कहाऊं गांव के दर्शन करना चाहें, उन्हें लखनऊ से गोरखपुर जाना चाहिये।
किष्किन्धापुर वर्तमान का खूरबंदोपाम प्राचीन किष्किन्धापुर अथवा काकंदीनगर है । यहां पुष्पदन्तस्वामी के गर्भ, जन्म कल्याणक हुए हैं और उन्हीं के नाम का एक मंदिर है। गोरखपुर से यहाँ पाया जाता है।
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