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तीर्थ का महत्व है - त्याग धर्म की वह शिक्षा देता है । श्री मल्लिनाथ भगवान् का समवशरण भी यहाँ आया था। दिल्ली के लाला हरसुखरायजी का बनवाया हुआ एक बहुत बड़ा रमणीक दि० जैन मन्दिर और धर्मशाला है। तीनों भगवानों की प्राचीन नशियां भी हैं, जिनमें चरण चिह्न विराजमान हैं । यहाँ कार्तिकी अष्टानिका पर्व पर मेला और उत्सव होता है । यहाँ ही पास में भसूमा नामक ग्राम में भी दर्शनीय और प्राचीन प्रतिबिम्ब हैं। श्वेताम्बरी मन्दिर भी एक है। यहां से वापस मेरठ आकर और मुरादाबाद जङ्कशन होते हुए अहिक्षेत्र पार्श्वनाथ के दर्शन करने जावें | आंवला स्टेशन ( E.I. B. ) पर उतरे और वहाँ से बैलगाड़ियों में अहिक्षेत्र रामनगर जावें ।
अहिच्छत्र ( रामनगर)
अहिच्छत्र वह प्राचीन स्थान है जहाँ भ० पार्श्वनाथ का शुभागमन हुआ था । जब वह भगवान् अहिच्छत्र के बन में ध्यानमग्न थे, तब धरणेन्द्र और पद्मावती ने आकर उन पर 'नागफण मण्डल' छत्र लगाकर अपनी कृतज्ञता प्रकट की थी । इस घटना के कारण ही यह स्थान 'अहिच्छत्र' नाम से प्रसिद्ध हो गया और जैनधर्म का केन्द्र बन गया । यहाँ जैनी राजाओं का राज्य रहा है । राजा वसुपाल ने यहाँ एक सुन्दर जिनमन्दिर निर्माण कराया था, जिसमें लेपदार प्रतिमा भ० पार्श्वनाथ की
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