Book Title: Jain Shabda Kosh
Author(s): Ratnasensuri
Publisher: Divya Sanesh Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 37
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 269. केवल ज्ञानावरणीय कर्म :- केवलज्ञान पर आवरण लानेवाले कर्म को केवलज्ञानावरणीय कर्म कहते हैं । 270. कालोदधि समुद्र :- धातकी खंड के चारों ओर आया हुआ एक समुद्र , जो आठ लाख योजन के विस्तारवाला है । 271. कुण्डल द्वीप :- जंबूद्विप से चलने पर 11 वाँ कुंडलद्वीप आया हुआ है । जहाँ अनेक शाश्वत जिनमंदिर हैं । 272. कुलांगार :- अपने कुल की कीर्ति को जलाने में अंगारे के समान जो पुत्र हो, उसे कुलांगार कहते हैं। 273. क्षपक श्रेणी :- जिस श्रेणी में आत्मा मोहनीय आदि चार घातिकर्मों का जड़मूल से क्षय करती है, उसे क्षपक श्रेणी कहते हैं । 274. क्षयोपशम सम्यक्त्व :- उदय में आए मिथ्यात्व मोहनीय के कर्मदलिकों का क्षय और उदय में नहीं आए हुए - सत्ता में रहे हुए मिथ्यात्व के कर्मदलिकों का उपशम जिसमें हो, उसे क्षयोपशम सम्यक्त्व कहते हैं । 275. क्षमा :- विपरीत संयोग खड़े होने पर भी क्रोध नहीं करना । उदय में आए क्रोध को निष्फल बनाना, उसे क्षमा कहते हैं । 276. क्षायिक भाव :- कर्म के संपूर्ण क्षय से आत्मा में उत्पन्न होनेवाले भाव को क्षायिक भाव कहते हैं । इसके 9 भेद हैं-क्षायिकज्ञान, क्षायिकदर्शन, क्षायिकदान, क्षायिकलाभ, क्षायिकभोग, क्षायिक उपभोग, क्षायिकवीर्य, क्षायिक सम्यक्त्व और क्षायिक चारित्र । . 277. क्षीरवर :- मध्यलोक का पंचम द्वीप व सागर | 278. क्षमा श्रमण :- साधु का पर्यायवाची शब्द । क्षमा धर्म को जीवन में आत्मसात् करने के लिए प्रयत्नशील । वल्लभीपुर में हुई आगमवाचना के प्रणेता देवर्द्धिगणि का यह विशेषण भी है । 279. क्षीणमोह :- 12 वें गुणस्थानक का नाम है क्षीणमोह । क्षपक श्रेणी पर आरूढ़ आत्मा 12 वें गुणस्थानक में मोहनीय कर्म का संपूर्ण क्षय कर देती है, अतः उस गुणस्थानक का नाम 'क्षीणमोह' है। ____ 280. क्षमापना पर्व :- संवत्सरी महापर्व के दिन क्षमा का आदान - प्रदान किया जाता है, अतः उसे क्षमापना पर्व भी कहते हैं | ___281. क्षय तिथि :- सूर्योदय के समय में जो तिथि न हो उसे क्षय तिथि कहते है । =25] For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102