Book Title: Jain Shabda Kosh
Author(s): Ratnasensuri
Publisher: Divya Sanesh Prakashan

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Page 68
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 5) पारिष्ठापनिका समिति- इन पाँच समितियों का पालन करना होता है । साधु जीवन में कोई अनुपयोगी वस्तु आ गई हो अथवा शरीर के मलमूत्र आदि के विसर्जन के लिए इस समिति का पालन किया जाता है अर्थात् परठने योग्य उन पदार्थों को निर्जीव भूमि में इस रीति से परठा जाता है कि अन्य कोई उस वस्तु का उपयोग न कर पाए । 547. पांडुक वन :- मेरु पर्वत पर सबसे ऊपर पांडुकवन आया हुआ है, जहाँ पर तीर्थंकर परमात्माओं के देवताओं द्वारा जन्माभिषेक होते हैं । 548. पांडुकंबला शिला :- मेरु पर्वत पर आई हुई एक शिला-जहाँ पश्चिम महाविदेह में पैदा हुए तीर्थंकरों का जन्माभिषेक होता है । 549. पुद्गल परावर्तकाल :- जिस काल में एक आत्मा जगत् में रहे सभी पुद्गलों का उपभोग कर ले, उस काल को एक पुद्गल परावर्तकाल कहते हैं । इस काल में अनंत उत्सर्पिणी - अवसर्पिणी व्यतीत हो जाती हैं । 550. पुरुषार्थ :- जीव के प्रयत्न विशेष को पुरुषार्थ कहते हैं । 1) धर्मपुरुषार्थ 2) अर्थपुरुषार्थ 3) कामपुरुषार्थ और 4) मोक्षपुरुषार्थ । 551. पृथ्वीका :- पृथ्वी स्वरूप जीवों को पृथ्वीकाय कहते हैं । 552. पौषध व्रत :- श्रावकों के लिए पर्वतिथि आदि में करने योग्य चार प्रकार के शिक्षाव्रतों तीसरा शिक्षाव्रत पौषध व्रत है । जिस प्रकार औषध से शरीर पुष्ट बनता है, उसी प्रकार पौषध से आत्मा पुष्ट बनती है । यह पौषध सिर्फ दिन के चार प्रहर, रात्रि के चार प्रहर अथवा दिन रात के आठ प्रहर का एक साथ लिया जा सकता है । 553. पुष्करवर द्वीप :- जिस द्वीप में कमल अत्यधिक प्रमाण में पैदा होते हैं, उस द्वीप का नाम पुष्करवर द्वीप है । मध्यलोक में जंबुद्वीप से यह तीसरा द्वीप है । यह द्वीप कालोदधि समुद्र के चारों ओर वर्तुलाकार में है । इसका व्यास 16 लाख योजन है । इस द्वीप के मध्य में चारों ओर मानुषोत्तर पर्वत आया हुआ है, जो इस द्वीप को दो भागों में विभक्त करता है । अंदर का भाग मनुष्य लोक में आता है, जहाँ मनुष्य की उत्पत्ति होती है, जब कि बाहर के आधेभाग में मनुष्य पैदा नहीं होते हैं । 554. पुष्करावर्त मेघ :- यह श्रेष्ठ प्रकार का मेघ है । इसके बरसने से धरती अत्यंत ही फल देनेवाली बन जाती है । 56 For Private and Personal Use Only

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