Book Title: Jain Shabda Kosh
Author(s): Ratnasensuri
Publisher: Divya Sanesh Prakashan

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Page 72
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 584. पूर्वजन्म :- वर्तमान जन्म से पहले के जन्म को पूर्वजन्म कहते हैं । 585. पुनर्जन्म :- वर्तमान जन्म के बाद के जन्म को पुनर्जन्म कहते हैं । 586. परावर्तना :- स्वाध्याय के पाँच प्रकारों में तीसरा प्रकार । स्वाध्याय के 5 प्रकार-वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा और धर्मकथा ! परावर्तना अर्थात् ग्रहण किए सूत्र आदि को पुनः पुनः याद करना । 587. परस्त्रीगमन :- अन्य की विवाहिता स्त्री के साथ शारीरिक भोग करना, उसे परस्त्रीगमन कहते हैं। मानव को शैतान बनानेवाले 7 प्रकार के व्यसनों में परस्त्रीगमन भी एक भयंकर व्यसन है । अपनी विवाहिता स्त्री के अलावा किसी भी अन्य स्त्री का भोग करना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 588. पल्योपम :- एक योजन लंबे-चौड़े और गहरे कुएँ में 7 दिन के युगलिक बच्चे के बालों को काटकर, उनके पुनः असंख्य टुकड़े कर उस कुएँ को ढूंस-ठूंस कर भर दिया जाय, उसके बाद प्रति 100 वर्ष के बाद उस कुएँ में से 1-1 बाल को बाहर निकाला जाय, जितने काल में वह कुआँ खाली होगा, उस काल को एक पल्योपम कहते हैं । 19 'फ' 589. फलादेश :- जन्म कुंडली देखकर ज्योतिषी जो फल बतलाता है, उसे फलादेश कहते हैं । 20 590. फोड़ी कर्म :- कुएँ-तालाब आदि खुदाना । जिस कार्य में पृथ्वी के पेट को फोड़ा जाता है, उसे फोड़ीकर्म कहते हैं । 591. फाल्गुण :- एक महिने का नाम । 'ब' 592. बकुश :- चारित्र के उत्तर गुणों में दोष लगाकर जो चारित्र को युक्त करते हैं, उन्हें बकुंश कहते हैं । दोष 60 593. बलदेव :- 63 शलाका पुरुषों में 9 बलदेव होते हैं । वासुदेव के बड़े भाई के रूप में बलदेव का जन्म होता है For Private and Personal Use Only

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