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जैनहितैषीmmmmmmmmmmmmmm स्वयं जैनियोंमें ही इस बात पर झगड़ा उठ चुका है कि ये पादुकायें रामानुजाचार्य की हैं या जैन गुरुकी। एक चट्टान पर तीन सो के चित्र भी बने हैं। ___ चिक्क हनसोगे—-इस ग्राममें एक केशवका मंदिर है। एक मंदिर और है, जिसको ‘आदिनाथ-बस्ती ' कहते हैं। मंदिर दुर्दशामें है; परन्तु आदिनाथ, शान्तिनाथ, चंद्रनाथकी मूर्तियाँ अच्छी दशामें हैं। इस मंदिरके दरवाजे पर कुछ नये लेख मिले हैं। ये कन्नड लिपिमें हैं। इन लेखोंसे और पहले मिले हुए लेखोंसे अब यह सिद्ध हो गया है कि यह स्थान किसी समय जैनियोंका अतिशय क्षेत्र था। इसमें एक समय ६४ बस्तियाँ अर्थात् मंदिर थे; परन्तु अब इस ग्राममें तथा इसके आसपासके ग्रामोंमें एक भी जैनी नहीं रहता । उपर्युक्त आदिनाथका मंदिर टूटा हुआ पड़ा है, जिसकी कोई खबर लेनेवाला नहीं । कुछ वर्ष हुए यहाँकी एक नदीमेंसे कई गाड़ियाँ भरकर धातुकी जैनप्रतिमायें और बरतन निकाले गये थे। ११ वी शताब्दिमें इसके जैनमंदिर विद्यमान थे।
कित्तुर–यहाँ पर एक पार्श्वनाथ बस्ती है. जिसकी दशा शोचनीय है । इस मंदिरमें अब एक लेख मिला है जिससे मालूम हुआ है कि यह मंदिर बड़ा प्राचीन है। मंदिरके बरतनों पर भी कुछ लेख पाये गये हैं। .. इन अन्वेषणोंसे जो नई ऐतिहासिक बातें मालूम हुई हैं उनका कुछ सार यहाँ पर लिखा जाता है । अंकनाथपुरके लेखोंसे यह मालूम हुआ है कि यह स्थान किसी समय जैनियोंका अच्छा क्षेत्र था।
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