Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 01 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 89
________________ सेठीजी और जैनसमाज । तक हो जाता। अब तो इसके लिए नियमबद्ध पद्धतिसे सम्मिलित प्रयत्न होना चाहिए । अर्थात् कुछ आदमियोंको अगुए बनकर पहले इस काम के लिए दो चार हजार रुपयेका चन्दा एकत्र कर लेना चाहिए और फिर एक दो अच्छे वकील बैरिस्टरोंको इस काम के लिए नियत करके उनके द्वारा कानूनके अनुसार कार्रवाई चलानी चाहिए। जैनसमाजमें वकील वैरिस्टरोंकी कमी नहीं है । किन्तु यदि वे इस काम में हाथ डालनेका उत्साह न दिखावें तो दूसरोंको फीस देकर काममें लगाना चाहिए। सबसे पहले तो यह अच्छा होगा कि श्रीमान् वायसराय साहबकी सेवामें सेठीजीकी स्त्रीकी ओरसे एक मेमोरियल भिजवाया जाय और उसमें इस मामलेका अथसे इति पर्यन्त तथ्य कानूनके अनुसार समझाया जाय । आरा - दिल्लीके मुकद्दमोंकी नकलें लेकर और प्रारंभसे अबतक सेठजिकेि विषयमें जो जो कार्रवाइयाँ हुई हैं - जो जो लिखापढ़ी हुई हैं उन सबको जानकर कानूनके अच्छे विद्वान् इस मेमोरियलका मजमून तैयार करें और सेठीजीकी निर्दोषता के सुबूतों का उल्लेख करें तो बहुत लाभ हो सकता है । केवल दयाकी प्रार्थना करना छोड़ देने के लिए तार देना, इनकी अपेक्षा इस प्रमाणपूर्ण मेमोरियलका प्रभाव अवश्य ही बहुत अधिक पड़ेगा ! इस विषयमें हमें सबसे अधिक भरोसा प्रजाप्रिय शासक श्रीमान् लार्ड हार्डिज साहबके ऊपर है । वे कितने उदार न्यायी और कोमलचित्त हैं इसका पता कोमागाता मारू आदिके कई मामलों से लग चुका है । यह बात निःशंक होकर कही जा सकती है कि उनका शासन बहुत ही अच्छा है। उनके समयमें भी यदि हम अपने एक भाईको बचा सकें तो और कब बचा सकेंगे ? 1 Jain Education International For Personal & Private Use Only ८७ www.jainelibrary.org

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