Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 01 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 133
________________ जम्बूस्वामीचरित। यह भी कवितासे बदलकर सादी बोलचालकी भाषामें कर दिया गया है । अन्तिम केवली जम्बूस्वामीका पवित्र चरित्र है । मूल्य ।) दशलक्षणधर्म । इसमें उत्तम क्षमादि दशधर्मोंका विस्तृत व्याख्यान है। रत्नकरंडवचनिका आदिग्रन्थोंके आधारसे नये ढंगसे लिखा गया है। भाषा बोलचालकी है । साथमें दशलक्षण व्रत कथा भी है । शास्त्रसभामें बाँचने योग्य है । भादोंके तो बड़े कामकी चीज़ है। मूल्य पाँच आना। आत्मशुद्धि। । यह पुस्तक लाला मुंशीलालजी एम. ए. की लिखी हुई हालही प्रकाशित हुई है । विषय नामसे ही स्पष्ट है । जैनग्रन्थोंके आधारसे लिखी गई है। इसमें ‘शील और भावना' भी शामिल है । मूल्य।) गृहिणीभूषण । स्त्रियोंके लिए बड़ी ही उपयोगी पुस्तक है । जैनस्त्रियोंके सिवाय दूसरी स्त्रियाँ भी लाभ उठा सकती हैं । स्त्रियोंके कर्तव्य, व्यवहार, विनय, लज्जा, शील, गृहप्रबन्ध, बच्चोंका लालनपालन, पातिव्रत, परोपकार आदि-सभी विषयोंकी इसमें सुन्दर शिक्षा दी गई है । भाषा शुद्ध और सरल है। जैनसमाजमें स्त्रीशिक्षाकी इससे अच्छी और कोई पुस्तक प्रचलित नहीं । मूल्य आठ आना । शान्तिकुटीर। यह बहुत ही सुन्दर और शिक्षाप्रद उपन्यास है । प्रतिभा उपन्यासके लेखककाही यह लिखा हुआ है । इससे इसकी प्रशंसा करना व्यर्थ है। १५ जनवरी तक तैयार हो जायगा । मूल्य १) __मैनेजर, जैनग्रन्थरत्नाकर कार्यालय, गिरगाँव, बम्बई। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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