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जैनहितैषीके नियम । १ इसका वार्पिक मूल्य पोस्टेजसहित १॥ है। - २ उपहार लेनेवाले ग्राहकोंको उपहार खर्च जुदा देना पड़ता है । इस वर्ष यह खर्च ॥ दश आना रक्खा गया है। अर्थात् जो भाई उपहारके ग्रन्थोंसहित वी. पी. मँगावेंगे उन्हें २ दो रुपया तीन आना देना होगा। - ३ इसका वर्ष दिवालीसे शुरू होता है। शुरू सालसे ही ग्राहक बनाये जाते हैं, बीचसे नहीं । जो सजन बीचमें ग्राहक बनेंगे उन्हें तब तकके निकले हुए अंक भी लेना होंगे।
४ जो भाई खोया हुआ अंक फिरसे मँगावें उन्हें तीन आनेके टिकिट भेजना चाहिए। ५ प्रबन्धसम्बन्धी पत्रव्यवहारादि इस पतेसे करना चाहिए:
मैनेजर, जैनहितैषी जैनग्रन्थरत्नाकर कार्यालय
हीराबाग, पो. गिरगाँव, बम्बई ।
पवित्र केशर । . काश्मीरकी अच्छी और पवित्र पवित्र केशर हमसे मँगाया कीजिए । हरवक्त तैयार रहती है । मू० १] तोला।
सूतकी मालायें। जाप देनेकी मालायें एक रुपयेकी दश ।
मैनेजर, जैनमन्थरत्नाकरकार्यालय
हीराबाग, गिरगाँव, बम्बई ।
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