________________
विविध प्रसंग।
विविध प्रसंग।
. ave १ शिक्षापद्धति पर ध्यान दीजिए।
जै नसमाजकी अधिकांश पाठशालाओं और शिक्षा
संस्थाओंकी दशा सन्तोषप्रद नहीं है । इसका एक बड़ा भारी कारण यह है कि उनमें प्रायः
- जितने अध्यापक या पण्डित रक्खे जाते हैं उन्हें पढ़ानेका ढंग या शिक्षापद्धति नहीं आती । अपने पाण्डित्यके आगे वे शिक्षापद्धतिको कोई चीज़ ही नहीं समझते हैं। विद्यार्थियोंको पुस्तकें बँचवा देना-अपनी क्लिष्ट भाषामें अर्थ समझना देना ( विद्यार्थी चाहे समझे या नहीं ), उससे याद कर लानेकी ताकीद कर देना और दूसरे दिन रटा हुआ पाठ सुन लेना, इसके सिवाय वे और कुछ नहीं जानते हैं । फल इसका यह होता है कि उनके पास विद्यार्थी वर्षों पढ़ा करते हैं, पर बेचारोंको कुछ भी बोध नहीं होता है । स्मरण शक्तिके सिवाय उनकी और किसी भी शक्तिसे काम नहीं लिया जाता है और इस तरह वे प्रतिभाहीन कल्पनाहीन रद्दू तोते बना दिये जाते हैं । हमने इस तरहके कई अभागी विद्यार्थियोंको देखा है और उनकी जीवनकी इस दुर्दशा पर अफसोस किया है । इस समय हमारे पास एक सज्जनकी चिट्ठी आई है जिसे हम यहाँ पर प्रकाशित कर देते हैं और आशा करते हैं के शिक्षासंस्थाओंके संचालकोंका ध्यान इस ओर जावेगा और वे
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org