Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 01 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 125
________________ पुस्तक परिचय। १२३ ( कोयल ) मीठे स्वर अलाप रहे थे ! इस तरहके इस अत्यन्त सुखप्रद और मंगलमय समयमें मानों मूर्तिमती मांगल्य देवता ही सन्तानवती हुई-नाभिराजाकी रमणी रमणीभूषण मरुदेवीने एक अनुपम सुतमणिको जन्म दिया; जिस तरह पूर्वदिशा वासरमणि ( सूर्य ) को जन्म देती है । इत्यादि । पुस्तकका मूल्य 'तीन पैसा' है। यह लेखकके पास 'रास्त्याची पेठ घर नं० १०२, पूने ' के पतेसे मिल सकेगी। ११ महावीर अंक ( उत्तरार्ध)। श्वे० जैनकान्फरेंस हेरल्डके महावीर अंकका परिचय हम पहले दे चुके हैं; अब उसका दूसरा भाग भी उसके विद्वान् सम्पादकने प्रकाश किया है । इसमें भी कई अच्छे अच्छे लेख प्रकाशित हुए हैं । जो सज्जन महावीर भगवान्के सम्बधमें विशेष ज्ञान सम्पादन करना चाहें और गुजराती जानते हों उन्हें यह अंक और इसके पहलेका अंक मँगाकर अवश्य पढ़ना चाहिए। इसमें कई लेख जैनेतर विद्वानोंके लिखे हुए भी हैं । इस अंकके एक लेखका संक्षिप्त अनुवाद हमने अन्यत्र प्रकाशित किया है। महावीरका विस्तृत चरित लिखनेमें इन सब लेखोंसे बहुत सहायता मिलेगी । विद्वानोंको इनका संग्रह कर रखना चाहिए। इस अंकका मूल्य आठ आना है। नीचे लिखी पुस्तकें सादर स्वीकार की जाती हैं:१ रिपोर्ट-स्याद्वाद महाविद्यालय काशीकी, दश वर्षकी । २ रिपोर्ट-जैनपाठशाला सदर बाजार मेरठकी, द्वितीय वर्षकी । ३ रिपोर्ट-जैनविद्यालय कूचा सेठ देहलीकी, तीसरे वर्षकी। ४ रिपोर्ट-जैन सेन्ट्रल लायब्रेरी और संस्कृत पाठशाला बम्बईकी, चौथी। ५ उपदेशक भजनावली-प्रकाशक, वैश्यसभा भिवानी ( हिसार )। ६ अव्ययवृत्तिः-प्र०, उमादत्त हंसराज, कसूर ( हिसार )। ७ साक्षात् मोक्ष-प्र०, जैनज्ञानप्रसारक मंडल, सिरोही। ८ साधुगुणपरीक्षा-प्र०, साधुमार्गी जैन सभा, बड़नगर । ९-१० बाल्यविवाह, वृद्धविवाह-प्र०, मालवा प्रान्तिक सभा, बड़नगर । ११ प्रार्थनास्तोत्र-प्र०, मंत्री जैनविद्यालय कूचा सेठ, देहली। १२ गुणस्थानदर्पण-मिलनेका पता, रावत शेरसींग गौडवंशी, रतलाम । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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