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जैनहितैषी
होता ? लेखककी रायमें इस गोत्रकल्पनाको उठा देना चाहिए और प्रत्येक जैनीको चाहे वह किसी भी जातिका या गोत्रका हो यदि अपना कुटुम्बी नहीं है तो बे-रोकटोक आपसमें विवाहसम्बन्ध करना चाहिए । पद्मावती पुरवारोंमें गोत्र नहीं हैं, इस कारण उनमें ऐसा होता भी है। गोत्रकल्पनाका शास्त्रोंमें उल्लेख नहीं मिलता। यह आधुनिक है। जैनजातिके -हासमें गोत्रोंका झगड़ा भी एक कारण है। किसी किसी जातिमें तो छह छह सात सात गोत्र बचाये जाते हैं। इससे बहुत हानि हो रही है । इस विषयमें विद्वानोंको शान्तितापूर्वक विचार करना चाहिए । -रूपचन्द अचरजलाल। जैनमित्र अंक १, २ ।
सूर्यकी धूपकी उपकारिता । सूर्यकी धूपको सेवन करनेसे अनेक प्रकारके रोग दूर होते हैं। आजकल अनेक विलायती चिकित्सक दुर्बल बालकों और युवक पुरुषोंको स्वास्थ्योन्नतिके लिए धूपसेवनकी सलाह देते हैं । जनेवा नगरके डा० प्रोफेसर रोगेटने रोगी बालकोंके लिए एक 'आलोक चिकित्सालय' स्थापित किया है । इसमें नित्य बालकोंको बिना वस्त्र-खुले शरीर धूपसेवन कराया जाता है। इससे थोड़े ही दिनोंमें बालक आरोग्य और बलवान् बन जाते हैं। सवेरे नौ दश बजे और तीसरे पहर तीन चार बजे धूपसेवनका उत्तम समय है। किसी किसी रोगीको दो पहरकी तीक्ष्ण धूपमें भी रखनेकी आवश्यकता होती है । एकबारमें १० मि. निटसे लेकर एक घंटातक धूपका सेवन टीक हो सकता है। हमारे देश में शीतकालमें धूपमें बैठनेकी प्रथा बहुत समयसे प्रचलित है ।-वैद्य, सं० ११ ॥ भगवान महावीरका सेवामयजीवन और सर्वो
पयोगी मिशन । ज्ञातिभेद, अज्ञानमूलक क्रियाओं और बहमोंको देशसे निकाल बाहर करनेके लिए जिस महावीर नामक महान् सुधारक और विचारकने तीस वर्षतक उपदेश दिया था वह उपदेश प्रत्येक देश, प्रत्येक समाज और प्रत्येक व्यक्षिका उद्धार करनेके लिए समर्थ है। परन्तु धर्मगुरुओं या पण्डितोंकी अज्ञानता और श्रावकोंकी अन्धश्रद्धाके कारण आज वे महावीर और वह जैनधर्म अनादृत हो रहा है । सायन्सका हिमायती, सामान्य बुद्धि (Common Sense)
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