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जैनहितैषी
प्राचीन खोज।
भीलसा। विजयमण्डलमन्दिर--आदिमें यह मन्दिर वैष्णव या जैन था । वर्तमानमें वेदिकादिके चिह्न बिलकुल मिट गये हैं । मन्दिरकी सुन्दर कारीगरी और चित्रादिसे विदित हुआ कि यह बहुत प्राचीन है । खंभोंकी नक्काशी पुराने ढंग की है। प्रत्येक खंभे पर बारह लहरें पड़ी हुई हैं। - वज्रमन्द जैनमन्दिर-यह मंदिर ग्यारसपुरकी ओर मलाडियन पर्वतकी तलहटीमें है। पहले बहुत सुन्दर रहा होगा; पर वर्तमानमें खण्डहर हो रहा है । इसकी मरम्मत किसी भद्दे समयमें हुई है। जिन खंभों पर मूर्तियाँ विराजमान हैं वे किसी अन्य। प्राचीन मन्दिरसे लाये गये हैं। मन्दिरमें तीन वेदिका हैं । मध्यकी वेदिकामें हाथियोंके ऊपर सिंहासन पर एक पद्मासन मूर्ति है। दाहिनी ओर एक खड्गासन–मूर्ति है और उसके दोनों ओर कई छोटी छोटी खड्गासन मूर्तियाँ हैं। इसके बादकी वेदिकामें दो सिंहों पर रखे हुए सिंहासन पर भी जैनमूर्ति विराजमान है । ई० सन् ६५० के पहलेका यह मन्दिर मालूम होता है। ___ इसी ग्राममें एक मन्दिरमें मिले हुए चार खंभे और एक तोरण बहुत ही सुन्दर हैं । ये उसी समय के बने हुए मालूम होते हैं जिस समयका उक्त प्राचीन मन्दिर है। - गरूरमलका मन्दिर-बारूके समीप पथारी ग्राममें यह मन्दिर है । इसके भीतर देवोंकी मूर्तियाँ नहीं हैं। कहा जाता है कि एक गड़रियेने इसको अपनी स्त्रीकी यादगारमें बनाया था । मन्दिरके
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