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जैनहितैषी -
नेका मिलता तो वह मुकद्दमा चलाये बिना और सजा दिये बिना न रहती; परन्तु अब तक वह कोई भी सुदृढ़ प्रमाण नहीं ढूँढ़ सकी है और इसी लिए आगे प्रमाण मिलनेकी आशासे उन्हें हवालातमें सड़ा रही है । यद्यपि कानूनकी दृष्टिसे किसी व्यक्तिको इस तरह प्रमाणाभावसे वर्षोंतक हवालात में डाल रखना अन्याय है और इस बातको गवर्नमेंट भी जानती है; परन्तु उसने अपनेको न्यायी और निर्दोषी बनाये रखनेके लिए एक उपाय कर लिया है और बहुत संभव है कि सेठीजीको जयपुरराज्यके हवाले कर रखने में उसका यही मतलब हो । गत ५ दिसम्बरको जो जयपुर - महाराजकी ओरसे सेठीजीके विषयमें एक आर्डर निकला है, उसका अभिप्राय यह है कि “ इस पुरुषका राजनीतिक साज़िशोंसे गहरा सम्बन्ध हैं और यह जयपुर राज्यके नियमोंसे विरुद्ध है । ऐसे पुरुषका स्वतंत्र रखना जोखिमका है । इसलिए 1 आज्ञा दी जाती है कि अर्जुनलाल सेठी ५ वर्ष तक या जब तक दूसरी आज्ञा न निकले हिरासत में रक्खा जाय । " इससे भी यही मालूम होता हैळाक गवर्नमेंट के पास और जयपुरराज्यके पास इस समय कोई भी प्रमाण नहीं है जिससे सेठीजी पर मुकद्दमा चलाया जा सके और वे अपराधी बनाये जासकें । दिल्ली, आरा और कोटेके मुकद्दमे भी करीब करीब ख़तम हो चुके हैं; परन्तु उनमें भी कहीं कोई बात ऐसी नहीं निकली है जिससे सेठीजी पर जो संदेह है उसे विश्वासके रूपमें बदलनेकी गुजाइश हो । इन सब बातोंसे साफ़ मालूम होता है कि सन्देहके सिवाय और कोई कारण सेठीजीकी इस विपत्तिका नहीं है ।
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