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सेठीजी और जैनसमाज ।
परन्तु हम पूछते हैं कि क्या सन्देह हमेशा ही सत्यका अवलम्बन करनेवाला होता है ? झूठसे उसका क्या कुछ भी सम्बन्ध नहीं रहता है ? क्या यह संभव नहीं है कि सेठीजी पर जिस अपराधका सन्देह किया गया है वह उन्होंने सर्वथा ही न किया हो-केवल कुछ ऊपरी बातोंपरसे अनुमान कर लिया गया हो ? पुलिसके हाथों इस तरहके सन्देहों में नित्य ही अनेक आदमी फँसते हैं और अन्तमें वे निरपराध ठहरते हैं। फिर क्या कारण है जो हम सेठीजीके निर्दोष होने पर विश्वास न करें ? बल्कि और सन्देहास्पद व्यक्तियोंकी अपेक्षा तो सेठीजीके निर्दोष सिद्ध होनेकी बहुत अधिक संभावना है। कारण, और लोगोंको अपराधी सिद्ध करनेके लिए तो पुलिस कुछ न कुछ सुबूत तैयार रखती है और न्यायाधीश उन सुबतों पर विचार करके दोषी निर्दोषी सिद्ध करते हैं; परन्तु सेठीजीके विषयमें तो पुलिसके पास एक भी सुबूत नहीं है और इसी कारण अब तक वे किसी न्यायाधीशके सामने खड़े नहीं किये गये हैं। ___ इसके सिवाय सेठीजी एक अनुभवी और विद्वान् पुरुष हैं। जैनधर्म पर उनकी दृढ श्रद्धा है । परोपकारके लिए उन्होंने अपना जीवन दे डाला है । इस लिए उनके विषयमें हमको क्या, किसीको भी स्वप्नमें विश्वास नहीं हो सकता है कि उन्होंने कोई घृणित राजद्रोहका काम किया होगा । अवश्य ही किसी बड़े भारी भ्रममें पड़कर सरकार उन्हें राजद्रोही समझ रही है।
जैनसमाजकी ओरसे सेठीजीके विषयमें कोई बलवान् प्रयत्न नहीं हो रहा है। इसका कारण यह बतलाया जाता है कि जैन
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