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जैनहितैषी
दूसरे भागमें उक्त विद्वान्ने इस बातको दिखलाया है कि गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी ये दोनों महात्मा समकालीन थे। बौद्ध ग्रंथोंमें अनेक स्थलों पर निगंथ नातपुत्त ( निग्रंथो ज्ञातिपुत्रः ) का जिकर आया है । ' सामण्णफलसुत्त ' में लिखा है कि अजातशत्रु , निगंथ नातपुत्तके पास गया तथा गौतमबुद्धके पास भी गया । जैनशास्त्रोंमें भी लिखा है कि कुणिका वा कोणिया ( अजातशत्रु ) महावीर स्वामीके पास गया । बौद्धशास्त्रोंमें अनेक स्थानोंपर लिखा है कि गौतमबुद्ध निग्रंथ साधुओंसे मिले । महावीरके शिष्य अपने गुरुको बुद्धदेवके समान ही अनंत ज्ञान और अनंत दर्शनका धारों कहते थे और उसी प्रकार उसकी स्तुति और प्रशंसा करते थे । बौद्धग्रंथोंमें महावीरस्वामीके सूचक अनेक शब्दों का प्रयोग किया है जिससे स्पष्ठ प्रगट होता है कि बौद्धोंको जैनियों तथा उनके गुरुका पूर्ण परिचय था। अतएव इसमें कोई संदेह नहीं है कि गौतम बुद्ध और महावीर समकालीन दो भिन्नभिन्न व्यक्ति थे । गौतम बुद्ध ने बौद्धधर्मका प्रचार क्लिया । महावीर स्वामीने जैनधर्मका प्रकाश किया । दोनों मगधमें हुए । आजकलके प्रायः सभी विद्वान् इस विषयमें सहमत हैं। __ अब संदेह यह है कि जब गौतम बुद्ध और महादगरने साथ साथ अपने मतका प्रचार किया तब उनके निर्वाणमें इतना अंतर क्यों है ? जेनरल कनिंघम और प्रोफेसर मोक्षमूल के मतानुसार बुद्धदेवका ई० सन्से ४७७ वर्ष पूर्व विर्वाण का) मेरी रायमें भी यही ठकि मालूम होता है । उस समय उनकी
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